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* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★
१७५ पर शनि राहु का प्रकोप है तो व्यक्ति को अवांछित शारीरिक सम्पर्क से यह रोग हो जाता है। इन प्रकोपों से बचने के लिए इन्सान को जिरकॉन, मूनस्टोन, पुखराज व नीलम पहनना चाहिये तथा सच्चे मोती की माला भी पहन सकते हैं। यही मनुष्य के लिये हितकर है।
सबलबाय सबलबाय आँखों में होने वाला एक भयानक रोग है। यह रोग प्रदूषित वातावरण से होता है। ज्यादातर यह रोग महिलाओं में होता है जो खाना बनाती हैं तथा बढ़ती उम्र में अनुवांशिकता से भी यह रोग होता है। इस रोग से लगातार आँखों से पानी जैसा पदार्थ निकलता रहता है। आँखें हर समय भारी-भारी सी रहती है और कम दिखाई देने लगता है। अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया जाता है तो आँखों की रोशनी भी जा सकती है।
आँखें लाल हो जाती हैं और सूज भी जाती है तथा पेट दर्द, उल्टी होना, जी मिचलाना इसके लक्षण हैं।
ज्योतिषीय विचार-लग्न से दूसरे या बारहवें भाव में पाप ग्रहों की दृष्टि हो और सूर्य व चन्द्रमा एक ही अंश पर स्थित हों, दूसरे तथा बारहवें भाव में पाप ग्रह बैठे हों तो सबलबाय रोग होने की सम्भावना रहती है । कर्क लग्न पर मंगल, राहु या शनि की दृष्टि भी यह रोग होने का योग बनाती है।
मूनस्टोन, श्वेत मोती तथा माणिक्य पहनने (धारण) करने से व्यक्ति लाभान्वित होता है, पन्ना को धारण करना भी लाभदायक कहा गया है।
गठिया यह रोग ज्यादातर शरीर के जोड़ों में होता है तथा कमर से नीचे होता है। इस रोग से प्रभावित अंग की त्वचा के नीचे सफेद क्रिस्टल से जम जाते हैं। शरीर में यूरिक अम्ल का सन्तुलन बिगड़ जाता है तो इस रोग की उत्पति होती है। यूरिक अम्ल शरीर में रक्त के साथ ही रहता है। जब रक्त में इसकी मात्रा ज्यादा हो जाती है तो यह गठिया के रूप में हो जाता है।
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