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* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★
१२७ स्फटिक हमारी आत्मा का दर्पण है। यह अपने आप में वशीकरण शक्ति लिए हुए है; इसलिए सभी को आकर्षित करता है। अतः उपरोक्त पूजा की वस्तुएँ अनभिज्ञता के लिए भले ही शोपीस हों, परन्तु यदि अज्ञानवश भी इन सबको एक जगह रख दें तो इनका चमत्कार स्वतः मालूम पड़ जाएगा।
स्फटिक के गुण-दोष-स्फटिक मणि सफेद, चमकदार भारी और हल्की तथा ब्राह्मण वर्ण की होती है। इसका स्वामी वरुण है। यह पुष्कर, नर्मदा, ताप्ती, विन्ध्य, हिमालय, वर्मा, लंका आदि में पायी जाती है। जाल, गड्ढा, काले सफेद लाल बिन्दु ये चार दोष हैं। ऐसी मणि नहीं धारण करनी चाहिये। अर्थात् दोषरहित मणि लेना चाहिये।
__ स्फटिक में आठ गुण होते हैं-(१) निर्मल झलक (२) अच्छा घाट (३) सफेद रंग (४) चिकना (५) चमकदार (६) गुलाबी, पीत, श्यामवर्ण (७) साफ अंग (८) तेजस्विता। ऐसा गुणयुक्त स्फटिक धारण करने से तेज, बल और वीर्य बढ़ता है।
स्फटिक मणि के संग दो प्रकार के होते हैं-(१) संग दूधिया (२) संग बिल्लौर।
संग दूधिया-यह मणि दूध के समान, रंग चमकदार, चिकना नरम होता है। यह विन्ध्य, हिमालय, नर्मदा, काबुल, काश्मीर आदि जगहों से प्राप्त होती है।
__संग बिल्लौर-यह संग चमकदार, साफ और नरम होता है। जो हिमालय, विन्ध्य, नेपाल, ढूंढार, बर्मा, लंका में पैदा होता है।
हकीक (Agate) हकीक एक ऐसा रत्नीय पत्थर होता है जो प्रायः आसानी से उपलब्ध हो जाता है तथा साथ ही यह सस्ता भी होता है। विभिन्न भाषाओं में इसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। संस्कृत में इसे रक्ताश्म, हिन्दी में हकीक, उर्दू में अकीक तथा अंग्रेजी में आगेट कहते हैं । रासायनिक संरचना की दृष्टि से इसमें एल्युमीनियम, आयरन ऑक्साइड आदि का मिश्रण होता है। यह
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