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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★
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व आँखे कमजोर होना इसके प्रमुख कारण हैं । सिरदर्द कुछ दवाईयाँ सेवन करने से ठीक हो जाता है
माणिक्य मोती तथा पन्ना पहनने से लाभ होगा। नवरत्न का पेंडल गले में पहनना भी उचित है ।
मुँहासे
रक्त विकार से उत्पन्न होने वाला यह रोग अधिकतर युवावस्था में होता है । वय- सन्धि में आने पर शरीर के रसायनिक तत्वों का सन्तुलन गड़बड़ा जाता है और चेहरे पर कील - मुँहासे, दाग, धब्बे, मस्सों आदि के दाने चेहरे पर उभर आते हैं । श्वेत ग्रंथियों से स्रवित होने वाला तत्व सीबम इस रोग का कारण है। सीबम के अधिक मात्रा में निकलने से चेहरे पर चिकनाई की मात्रा अधिक हो जाती है। ऐसी त्वचा पर धूल, मिट्टी के कण से कील मुँहासों की उत्पत्ति होती है।
ज्योतिषीय विचार - मेष तथा वृश्चिक राशि के जातक मुँहासों से अधिक दुःखी होते हैं। पीड़ित शुक्र और केतु का संचार मेष, तुला और मकर राशियों में हो तथा इन पर शत्रु ग्रहों की दृष्टि भी हो तो मुँहासे निकलते हैं ।
चाँदी की अंगूठी में ८ या १० रत्ती का सफेद मूँगा अथवा ४ से १० रत्ती का सच्चा मोती मध्यमा अँगुली में पहनें, साथ ही छोटी अँगुली में लाजावर्त पहनें। यदि मूँगा अनुकूल न आये तो केवल चाँदी की अँगूठी ही धारण करें ।
मसूड़ों में क्षय
दाँतों में कीड़े या दर्द होने से मसूड़े भी सूज जाते हैं। मसूड़ों में जलन होती है । मसूड़े गलने लगते हैं और दाँत जड़ से कमजोर होकर समय से पहले ही टूटने लगते हैं ।
दाँतों की नियमित देखभाल न करने से पपड़ी सी जम जाती है। (यानी प्लैक) इस प्लैक में ही सड़न पैदा करने वाले बैक्टीरिया यानी कीटाणु पनपते हैं और दाँतों के साथ मसूड़ों में भी सड़न पैदा करते हैं। मसूड़े
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