Book Title: Ratna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Author(s): Kapil Mohan
Publisher: Randhir Prakashan Haridwar

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Page 166
________________ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * १६५ उच्च रक्तचाप इस रोग को हाई ब्लडप्रेशर के नाम से जाना जाता है। आज के तनावपूर्ण माहौल व गृह कलह के कारण यह रोग होता है। यह जानलेवा रोग किसी को भी हो सकता है। रोगी के शरीर के रक्त का स्तर एकदम बढ़ जाता है। ज्यादा गुस्से के कारण तनाव के कारण चिन्ता के कारण अधिक मेहनत व तेज धूप में काम के कारण भी यह रोग हो जाता है। सामान्य लगने वाली यह बीमारी भयानक बीमारी है। इस रोग में रोगी को गुस्सा आता है, मुँह लाल हो जाता है तथा मुँह पर सूजन आ जाती है। साँस लेने में कठिनाई होती है। बेहोशी की हालत हो जाती है। यह रोग वंशानुगत भी हो सकता है। ज्योतिषीय विचार-हृदय का कारक चन्द्रमा है। कर्क राशि का क्षेत्र यदि सूर्य, शनि, राहु, चन्द्र या मंगल युक्त हो तो किसी अन्य रोग के कारण उच्च रक्तचाप हो सकता है। मिथुन राशि में पाप ग्रहों का होना भी उच्च रक्तचाप का कारण हो सकता है। चन्द्रमा शनि राहु-केतु का योग भी रक्तचाप को अनियन्त्रित कर देता है। दो या अधिक पाप ग्रह यदि मिथुन कर्क, सिंह कन्या या कुम्भ राशि में इकट्ठे हो जायें तो रक्तचाप रोग हो सकता है। लग्नेश का रत्न धारण करें।८-९ रत्ती का लाल रंग का शुद्ध मूंगा भी पहन सकते हैं। सहायक रत्नों के रूप में पन्ना, मोती, मूनस्टोन आदि अलग-अलग अंगूठियाँ पहनने से लाभकारी होगा। पक्षाघात साधारण भाषा में इस रोग को लकवा कहा जाता है। स्नायु-तन्त्र के विकार से इस रोग की उत्पत्ति होती है। रक्त नलियों में किसी विकार के कारण शरीर के किसी अंग में रक्त संचालन में बाधा हो तो वह अंग शिथिल अर्थात् बेजान हो जाता है। व्यक्ति अपाहिज हो जाता है। वृद्धावस्था में यह रोग हो जाता है। लेकिन अन्य लोगों को भी अवसाद, अत्यधिक तनाव तथा मानसिक चिन्ताओं के कारण भी पक्षाघात रोग हो जाता है। ज्योतिषीय विचार-स्नायुमण्डल का संचालक ग्रह बुध है। इसके Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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