Book Title: Ratna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Author(s): Kapil Mohan
Publisher: Randhir Prakashan Haridwar

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Page 157
________________ १५६ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ फूलकर लाल हो जाते हैं। ब्रश करते समय मसूड़ों में दर्द होता है तथा खून भी निकल आता है । ज्योतिषीय विचार- -शुक्र या मंगल नीच का हो तो अनेक प्रकार के दन्त रोग हो जाते हैं । दाँतों व मसूड़ों पर बृहस्पति का अधिकार है। शुक्र और मंगल दन्त विकार पैदा करते हैं । कन्या लग्न तथा नीच का बृहस्पति मंगल या चन्द्र लग्न में हो तो भी दन्त विकार की आशंका रहती है । मूनस्टोन तथा पीला गोमेद धारण करना लाभकारी है। पुखराज तथा मोती पहनना भी शुभ है । दुर्घटना तथा मोच शायद ऐसा ही कोई व्यक्ति होगा जिसे किसी दुर्घटना में चोट न लगी हो । सड़क पर, वाहन से, खेलकूद में भाग लेने से अक्सर चोट लग ही जाती है। बच्चों को प्रायः चोट लगती रहती है। दुर्घटना किसी भी समय हो जाती है । घर या बाहर हल्की चोट का तो इन्सान घर पर इलाज कर लेते हैं । लेकिन कभी ज्यादा चोट लग जाने से फ्रेक्चर होने पर सावधानी बरतना आवश्यक है। मरीज को चिकित्सा की जरूरत होती है उसे किसी अच्छे अस्पताल व डाक्टर के पास ले जाना चाहिये । ज्योतिषीय विचार- -चर लग्न तथा राशियों के स्वामी को चोट लगने की अधिक आशंका रहती है। लग्न तथा दूसरे भाव में राहु-मंगल की युति होने पर बार-बार दुर्घटनाओं का योग बनता है। लग्न का शनि ऊँची जगह से गिरने का कारण है तो लग्न में मंगल सिर और मस्तिष्क पर भाव के चिह्नों का सूचक है । चन्द्रमा से केन्द्र या त्रिकोण का मंगल, वाहन तथा यात्रा में दुर्घटना होने का योग बनाता है। पंचम भाव में शनि-सूर्य या शनि-मंगल की युति होने पर हाथापाई, मारपीट के दौरान घायल होने की आशंका रहती है। लोहा, तांबा या चाँदी में मूनस्टोन मढ़वाकर धारण करें। पुखराज धारण करने से भी दुर्घटनाओं की सम्भावना कम हो जाती है। लाल मूँगा तथा सफेद मोती धारण करने से भी दुर्घटना कम होती है। मूँगा घाव भरने में सहायक होता है तथा मोती त्वचा को सामान्य बनाता है । Jain Education International -- For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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