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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान *
१६१ आठवें भाव में स्थित हों तब ऐसी दुर्घटनायें अधिक होती हैं। जब मंगल और राहु तीसरे, पाँचवे या नवें भाव में हो तो व्यक्ति के साथ अचानक आग्नेय दुर्घटनायें होने का भय रहता है।
जलन के उपचार के समय शरीर पर लाल कपड़ा अवश्य धारण करें तथा साथ ही ९ रत्ती का लाल मूंगा तथा मूनस्टोन या सफेद मोती ३ रत्ती का धारण करने से लाभ होता है।
शिराशोथ इस रोग में शरीर की रक्त कोशिकाओं में प्रदाह उत्पन्न हो जाता है जिससे शोथ होता है। धमनियों में बीच में कोई रूकावट आ जाये तो भी शिराशोथ हो सकता है। इस रोग में मुख्यतः पैर प्रभावित होते हैं तथा त्वचा पर सूजन स्पष्ट दिखाई पड़ती है। कभी-कभी जीवाणुओं के संक्रमण से भी यह रोग हो जाता है। पैरों में सूजन आ जाने से रोगी चलने में असमर्थ हो जाता है।
ज्योतिषीय विचार-यदि शुक्र कुम्भ राशि का हो तथा सूर्य, मंगल से दृष्ट हो तो इस रोग की उत्पत्ति सम्भवतः होती है। कुशल ज्योतिषी से परामर्श लेकर ही कोई रत्न धारण करना ही हितकर होगा।
पोलियो 'पोलियो' बच्चों में होने वाला एक भयंकर रोग है। यदि असावधानी की जाये तो परिणामस्वरूप जीवन भर के लिये बच्चा विकलांग हो सकता है। सम्पूर्ण विश्व में पोलियो के निराकरण के लिये चलाये जा रहे 'पोलियो उन्मूलन अभियान' के द्वारा किये गये प्रयासों से पोलियो पर कुछ अकुंश लगाया जा सकता है।
- इस रोग में रोग के जीवाणु बच्चे की रीढ़ की हड्डी पर संक्रमण करते हैं। जिस कारण बच्चे का कोई सा भी अंग रोगग्रस्त होकर निष्क्रिय हो जाता है तथा हड्डियाँ सूख जाती हैं। जिससे हड्डी का आकार बिगड़ जाता है। यह वायु संक्रमित रोग है। यदि बच्चे को प्रतिरक्षीकरण टीके लगवाये
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