Book Title: Ratna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Author(s): Kapil Mohan
Publisher: Randhir Prakashan Haridwar

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Page 138
________________ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * १३७ १. डच रोज (Dutch Rose)- इसमें प्रत्येक मुख्य त्रिकोणाकार (Triangular Facets) के आधार (Base) पर ३ छोटे फलक होते हैं। इसमें कुल मिलाकर २४ फलक होते हैं। २. अर्द्ध डच रोज (Half Dutch Rose)-इस तराश में १८ फलक होते हैं। ३. एन्टवर्प रोज (Antwerp Rose)-इसमें फलकों की संख्या १२ होती है। ४. दुहरी गुलाब तराश (DoubleRose Cut)- इस तराश में प्रत्येक ऑक्टाहेड्रन की समाप्ति पर रोज कट होती है। इसलिए इसमें दो रोज (Rose) आधार से आधार मिलाकर जुड़े होते हैं । इस तराश को आधुनिक प्रकार की बोरिओलेट (Boriolette) कहते हैं, जो कि पियर शेप्ड (Pear Shaped) होती है तथा उसमें त्रिकोणाकार फलक (Triangular Facets) होते हैं। ५. क्रॉस रोज (Cross Rose)-इसमें फलों की संख्या २४ होती नाशपाती आकार (Pear Shape)-इसमें ५८ से ७४ फलक होते हृदयाकार (Heart Shape)-इसमें पहलों (फलकों) की संख्या ६५ होती है। ज्वलन्त तराश (Brilliant Cut)-यह तराश सत्रहवीं शताब्दी के अन्त में पेरूजी (Peruzzi) नामक व्यक्ति द्वारा आविष्कृत की गई थी। आजकल यह बहुत अधिक प्रयोग की जाती है। इससे रत्नों की चमकदमक में बढ़ोत्तरी हो जाती है। इसमें ५८ फलक होते हैं। आधुनिक ज्वलन्त तराशें (Modified Brilliant Cuts)-इसमें ज्वलन्त तराश में कुछ परिवर्तन करके नई-नई तराशों का अविष्कार किया गया है जिससे वजन की बचत होने लगी है तथा फलकों की संख्या में भी वृद्धि हुई है जिससे रत्नों की सुन्दरता और चमक पहले की अपेक्षा और भी अच्छी तरह उभरकर सामने आने लगी है। इसमें से कुछ तराशें इस प्रकार हैं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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