Book Title: Ratna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Author(s): Kapil Mohan
Publisher: Randhir Prakashan Haridwar

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Page 150
________________ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ १४९ ३३. 'कलचर्ड मोती' बनावटी नहीं होता है बल्कि सीप के कीड़े को उसी वातावरण में रखकर उसी के द्वारा ही मोती की प्राप्ति की जाती है । इस तरह से पैदा करने का अर्थ साफ-सुथरे, गोल तथा अधिक से अधिक मोती प्राप्त करना है । इसकी तुलना टेस्ट ट्यूब बेबी से करते हैं । जिसमें बच्चा माँ के पेट से जन्म न लेकर उसी वातावरण में परखनली में पैदा होता है । ३४. रत्नों को पहनने के लिए आपकी इसमें श्रद्धा का होना जरूरी है ३५. सुख-दुःख तो समयानुसार आएँगे परन्तु सम्बन्धित नग पहनने से उस दुःख को झेलने व उससे निपटने की हममें क्षमता तथा बुद्धि में और बल मिल जाता है। जैसे लगनी थी फाँसी, काँटे में ही काम चल गया । ३६. यदि आपने पुस्तक में अति उत्तम किस्म के नगों के बारे में पढ़कर या किसी विद्वान् के बताने पर नग लेने का फैसला कर लिया है परन्तु मूल्यवान होने के कारण आप खरीदने की नहीं सोच रहे या खरीद नहीं पा रहे हैं तो इसका दूसरा तरीका यह है कि आप हल्के स्तर के रत्न या उपरत्न वजन में डेढ़ गुना या दुगुना लेकर पहनें। ३७. नग के असली-नकली की पहचान स्वयं एसिड द्वारा, घिसकर, गोमूत्र अन्यथा और किसी भी विधि द्वारा न करें। यदि आपको नग पसन्द नहीं आया या शक है तो जैसा आपने लिया उसी तरह वापिस कर देना चाहिए । ३८. परीक्षा करने के दौरान नग को एक सफेद रंग के कपड़े में सिल लेना चाहिए तथा बाजू पर बाँध लेना चाहिए। नहाते समय खोल लें। यदि रात को सोते समय हाथ को न सुहाए तो खोलकर तकिए के नीचे रख लेना चाहिए परन्तु अंगूठी नहीं बनवानी चाहिए । ३९. परीक्षा (ट्राई) का अर्थ होता है कि आपको किसी प्रकार का नुकसान न हो । जैसे- आपके साथ हर तरह से अच्छा हो रहा हो और किसी प्रकार की तकलीफ न हो, सपने नहीं आते हों या अच्छे आते हों परन्तु नग के असर से उसमें उतार-चढ़ाव आ गया तो लाभदायक नहीं हुआ है । या बुरा हो रहा है या सपने भी बुरे आते हों परन्तु नग के असर से For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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