Book Title: Ratna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Author(s): Kapil Mohan
Publisher: Randhir Prakashan Haridwar

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Page 134
________________ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ १३३ चौरासी संग पृथ्वी पर प्रसिद्ध है। गुणवान लोग इन्हीं संगों से विविध प्रयोग करके रोग, तन्त्र-मन्त्र, विष आदि प्रकोप से बचाते हैं। नवरत्न बड़े ही भाग्यवान को ही प्राप्त होते हैं पर ये उपरत्न सभी को मिल सकते हैं। आवश्यकता है इसकी जानकारी की जो शास्त्रों में बहुत अध्ययन और मेहनत से प्राप्त होती है तथा जिस पर गुरू व भगवान् प्रसन्न हो उसी को उसकी प्राप्ति की सफलता मिलती है। रत्न और रुद्राक्ष के विषय में अन्य उत्तम पुस्तकें- चमत्कारी रुद्राक्ष : महिमा और प्रयोग (डॉ. रामकृष्ण उपाध्याय और बाबा औढरनाथ जी) - रत्न और रुद्राक्ष (तांत्रिक बहल) - रुद्राक्ष भस्म और त्रिपुण्ड्र विज्ञान (डॉ. रामकृष्ण उपाध्याय) रुद्राक्ष महात्म्य और धारण विधि (बाबा औढरनाथ तपस्वी) रत्न परिचय और चिकित्सा विज्ञान (डॉ. रामकृष्ण उपाध्याय) - मन्त्र तन्त्र और रत्न रहस्य (तांत्रिक बहल और पं. कपिल मोहन जी) - रत्नों की पहचान परख और प्रयोग (डॉ. रामकृष्ण उपाध्याय व पं. कपिल मोहन जी) रणधीर प्रकाशन, रेलवे रोड, हरिद्वार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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