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* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * सुन्दर आकर्षक व पानीदार मृदु, गुरु, सुडौल व लाल रंग का होता है अर्थात् हाथ में लेने पर हल्का-हल्का गरम का आभास होता है।
माणिक्य के प्राप्ति स्थान-माणिक्य रत्न प्राय: बर्मा, श्रीलंका, अफगानिस्तान तथा हिन्द चीन में अधिकांश प्राप्ति होती है। सबसे श्रेष्ठ माणिक्य ब्रह्मदेश के मोगोका नामक खान का होता है। मोगोका माणिक्य गुलाबी रंग का चमकदार व अकर्मकपूर्ण होता है लेकिन बहुमूल्य होता है। दक्षिण भारत में भी कामियन नामक जगह पर तथा टैगानिका (अफ्रीका) में माणिक्य की खान है, भारत का माणिक्य अपारदर्शक, श्याम नील, आभामय, गंदला रंग का मृदु होता है। अफ्रीका का माणिक्य लाल वर्ण, नीलाभ तथा किसी-किसी में पीली आभा होती है। माणिक्य के गुण व दोष की परख १. माणिक्य के वजन के सौगुने दुग्ध में माणिक्य को डाल देने पर या तो
दूध लाल रंग का हो जायेगा अथवा दूध से लाल रंग की किरणें उत्पन्न
होती दिखायी देती प्रतीत होंगी। २. माणिक्य को हाथ में रखने पर थोड़ा सा गर्म का आभास होगा। ३. गोल व लम्बा आकृति का माणिक्य सबसे अच्छा होता है। ४. सबसे अच्छा माणिक्य कमल की पंखुडियों में रखने पर चमकने लगता
५. सबसे श्रेष्ठ माणिक्य को पत्थर पर रगड़ने पर पत्थर तो घिस जाता है
लेकिन माणिक्य नहीं घिसता और न ही माणिक्य पर किसी भी प्रकार
का बुरा प्रभाव पड़ता है। बल्कि चमकने ही लगता है। ६. प्रातःकाल सूर्य के प्रकाश में माणिक्य को रखने पर उससे लाल रंग की
किरणें चारों तरफ उत्पन्न होकर चमकने लगती हैं। ७. रात्रि में उत्तम माणिक्य सूर्य की तरह चमकने लगता हैं। ८. सबसे अच्छा माणिक्य पारदर्शक होता है। ९. सबसे अच्छा माणिक्य समान अंगों व अवयव वाला होता है। १०. हाथ में लेने पर सबसे अच्छा माणिक्य अन्य माणिक्य की तुलना में
अधिक वजनदार होता है।
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