________________
मुख्य उपरत्न और उनका प्रभाव
गार्नेट
इसे हिन्दी में याकूत और रक्तमणि के नाम से जाना जाता है। यह उपरत्न लाल रंग का कठोर होता है और इसका अधिपति सूर्य होता है ।
घड़ियों में रत्न (Jewel) के रूप में प्रयोग होने वाले अधिकतर गार्नेट ही होते हैं, परन्तु बहुमूल्य घड़ियों में माणिक्य और नीलम प्रयोग में आते हैं। गार्नेट को धारण करने से सौभाग्य में बढ़ोत्तरी, स्वास्थ्य में आनन्द, मान-मर्यादा, सम्मान, यात्रा में सफलता मिलती है और मन में उत्पन्न विकृतियों को भी दूर करता है।
प्राचीन काल में लोगों का विश्वास था कि गार्नेट का प्रयोग हर प्रकार के जहर से बचाता है, मानसिक चिन्ता दूर करता है और डरावने व भयानक स्वप्न रोकता है। लाल गार्नेट बुखार में बहुत ही लाभदायक होता है और पीले रंग का गार्नेट पीलिया जैसे रोगों से रक्षा करता है । प्राचीन काल से लेकर आज तक गार्नेट के बारे में एक बात पूर्ण रूप से निश्चित है कि इस रत्न को धारण करने वालों को तूफान या बिजली गिरने से जीवन में हानि नहीं पहुँचती और यात्रा में किसी तरह की हानि या कष्ट नहीं होता। इस रत्न की विशेषता है कि यह रत्न सब प्रकार से आने वाले खतरों को झेलता हुआ अपना रंग बदल लेता है तथा विशेष कष्ट आने से पूर्व टूट भी सकता है।
पितौनिया
यह हरे रंग की सूर्यकान्त मणि है। जिसमें लाल रंग की छोटी-छोटी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org