Book Title: Ratna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Author(s): Kapil Mohan
Publisher: Randhir Prakashan Haridwar

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Page 121
________________ १२० * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * गौदन्ता संग-यह नीला सफेद, चिकना, साफ और हल्का होता है जो भूटान, नेपाल, रूस, लंका, त्रिकूट, हिमालय और सिन्धु नदी में होता है। इस तरह यहाँ नवरत्नों का संक्षेप में परिचय कराया गया है। ये नवरत्न के उपरत्न इसलिये है कि इनमें उन रत्नों की छाया, रंग की आभा होने पर उपरत्न से होने वाले लाभ भी कुछ अंशों में प्राप्त होते है। इनका प्रयोग चिकित्सा शास्त्र और तांत्रिक विधान में बहुत उपयोगी होता है। अनेक प्रकार के रोग और बाधायें दूर कर, धन, मान-सम्मान आदि प्राप्त होता है। लालड़ी मणि लालड़ी के छाया रत्न या उपरत्न संग के तीन प्रकार हैं संग सिन्दूरिया-यह सिन्दूरी मिला गुलाबी होता है। जो विन्ध्य हिमालय और बर्मा में होता है। संग टोपाज-यह संग चिकना, जोगिया रंग और गुलबिनोसि होता है। यह नर्मदा की खानों व विन्ध्य प्रदेश में पाया जाता है। संग आतसी-यह संग वजनदार, आतसी रंग का और बादामी, गुलाबी, काले, पीले छींटेदार होता है। सफेद पुखराज मणि विप्रवर्णीय चन्द्रमणि, सफेद पुखराज को फारसी में याकूत कहते हैं। यह महानदी, वैतरणी, पोरबन्दर, लंका, पूना, श्रीपुर में पाया जाता है। अच्छे घाट का चिकना निर्मल पानीदार यह उपरत्न अपने वर्णानुसार धारण करने से सुख सम्पत्ति में लाभप्रद होगा। एक छेददार चाँदी की डिबिया बनायें इसके अन्दर पुखराज मणि रखें। शरद पूर्णिमा के दिन यह मणि चन्द्र प्रकाश में रखें। उस दिन चन्द्र प्रकाश उस मणि पर पड़े। फिर इसको धातुपुष्टकर दही के साथ ग्रहण करें। इससे अनेक लाभ होगा। जैसे यह बल, वीर्य नेत्र ज्योति बढ़ाता है। यदि वृद्ध पुरुष इसका सेवन करे तो वह तरुणावस्था को प्राप्त हो सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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