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* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान* उत्पन्न होता है। सीप के मोती शुद्ध और सच्चे होते हैं। भूमध्यसागर में उत्पन्न मोती सफेद, आकर्षक, चन्द्र के समान चमक वाले, चन्द्रग्रह के अनुकूल और ब्राह्मण वर्ण के होते हैं।
शंखमुक्ता-यह मोती पाञ्चजन्य शंख से उत्पन्न होता है। यह अण्डे के समान, चमकहीन तथा पाण्डु रंग का होता है। जिसके पास यह मोती होता है, देवता उसके मित्र होते हैं। उसे संसार के समस्त प्रकार के लाभ मिलते हैं। वह सभी प्रकार की सुख-सम्पत्तियों से सम्पन्न होता है। यह मोती सन्तानप्रद तथा पापों से मुक्त करने वाला और सुख देने वाला कहा गया है।
सर्वमुक्ता-यह मोती नीले रंग का, साफ, चन्द्र के समान कान्तियुक्त होता है। यह वासुकी वंश के सर्पो के फनों पर होता है जो साधारण मनुष्यों के लिये दुर्लभ है। दिव्यदृष्टि वाले भाग्यशाली योगीराज ही इसे प्राप्त कर सकते हैं । जिसे यह प्राप्त होता है उस पर किसी की कुदृष्टि नहीं होती। सब प्रकार के विषैले जीव दूर रहते हैं तथा चोर, शत्रु, डाकिनी, शाकिनी, प्रेतादि सब भाग जाते हैं और सारे रोग नष्ट होकर सब कार्य पूर्ण होते हैं। .. मीनमुक्ता-गोमची के बराबर पाण्डु रंग के, कोमल अंग तथा चमक वाले मणिमुक्ता मछली के पेट से उत्पन्न होते हैं। यह मोती अनेक रोगों को दूर करता है। यदि पानी के अन्दर बैठकर इस मोती को मुँह में रखें तो उसे सब वस्तुयें दिखेंगी। इसे धारण करने वाला ग्रन्थकार, पण्डित और ज्ञानी होता है।
वंशमुक्ता-वंशमुक्ता दुर्लभ मुक्ता है। इस मोती के पैदा होते ही देवता इसे हर लेते हैं। यदि यह किसी को मिल जाये तो उसका पूर्ण रूप से भाग्योदय हो जाता है, उच्च पदवी प्राप्त होती है। यह श्री, वैभव, सुखसम्पत्ति, मान-प्रतिष्ठा, बुद्धि, बल और परिवार में वृद्धि करता है । यह बेर के फल के आकार का, हरे रंग का बहुत कोमल और अनमोल होता है। इसका प्रकाश सूर्य के समान होता है।
गजमुक्ता-आँवले के आकार का, सूर्य, चन्द्र की की हल्की प्रभा के समान रंग वाला यह गजमोती हाथी के कण्ठ-कपोल से उत्पन्न होता है। किसी भाग्यवान व्यक्ति को ही यह मोती प्राप्त हो सकता है। जो इसे प्राप्त
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