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* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * दें। उसमें रख मोती अगले दिन यदि वह टूटा हुआ मिले तो उसे अशुद्ध मोती समझें तथा ज्यों का त्यों रहे तो उसे सच्चा मोती
समझना चाहिये। ३. सच्चा मोती पहचानने की एक विधि यह भी है कि गाय के घी
में रख देने से घी पिघलकर बिल्कुल पतला हो जाता है। उपरोक्त विधियाँ प्रयोग करके आप शुद्ध व सच्चे मोती की पहचान कर सकते हैं।
मोती के गुण-मोतियों के छ: गुण होते हैं-चन्द्र के समान चमक, एक बाल के बराबर छिद्र, गोल, चिकना, कोमल, सरस। ये मोती बहुत शुभदायक फल देने वाले होते हैं और ऐसे मोती ही धारण करने चाहिये। मोतियों के छोटे-बड़े होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। शुद्ध मोती को पहनने से सात जन्मों के पापों का प्रायश्चित होता है। दूसरों की स्त्रियों के बारे में मन में कोई गलत विचार नहीं आते। यह सुन्दरता में, बल में, बुद्धि में, ज्ञान में, मान में, तेज में वृद्धि करता है तथा शारीरिक कमजोरी को दूर करता है व सब इच्छायें पूर्ण करता है।
मोतियों के दोष-ये दोष चौदह प्रकार के होते हैं१. बिना चमक का मोती 'सुन्न' दोषी कहलाता है। इसे धारण करने
से वैभव नष्ट होकर दरिद्रता आती है। २. मूंगा के समान लाल रंग का मोती दुःख और रोग में वृद्धि करता
है।
३. मोती में किसी प्रकार का भी धब्बा होने से रोग पैदा करता है। ४. छाला दोषी अर्थात् बीच में पोला पड़ा मोती सुख, सौभाग्य और
सम्पत्ति का हरण करता है। ५. टूटा मोती पहनने से कष्ट और किसी शस्त्र से चोट पहुँचना
निश्चित है। ६. जिस मोती में चेचक के समान गड्ढे हों वह कुल हानि और पुत्र
नाश करता है। ७. जिस मोती में लहर के समान रेखा हों उससे मन उद्विग्न होता है।
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