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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * में रखने पर दूध नीला हो जाता है।
ब्राह्मण के लिये सफेद नीलम तथा क्षत्रिय के लिये गुलाबी, वैश्य के लिये पीला, शूद्र के लिये श्याम रंग का नीलम लाभप्रद होता है। शनिवार के दिन मध्याह्न में स्नानादि कर नीलम को दूध मिश्रित जल से स्नान कराकर चन्दन, अक्षत, धूपदीप, फूल फल आदि से पूजन कर फिर उसे गले या हाथ में पहनें तथा रात में साफ भूमि पर सोयें तथा स्त्री साथ में न हो। यदि रात में बुरा स्वप्न दीखे तो नीलम उतारकर रख दें और यदि अच्छा स्वप्न है तो पहने रखें। यदि शनि की कुदृष्टि या साढ़ेसाती हो तो नीलम पहनना चाहिये। इससे दुःख दरिद्रता दूर होते हैं तथा धन सम्पत्ति आदि की वृद्धि होती है।
नीलम के दोष-डोरिया, चीर, दुरंगा, दूधक, जालदार, सुन्न, मैला, अबरखी बिन्दुयुक्त नीलम दूषित होता है। दुरंगा नीलम शत्रु भय कराता है। चीरवाला नीलम शस्त्राघात होता है। दूधक नीलम घर में दरिद्रता और हानि करता है। सफेद डोरिया युक्त नीलम आँखों में चोट तथा शरीर में दुःख देता है। काले बिन्दु वाला नीलम अपना घर देश छुटाता है। सुन्न नीलम प्रिय बन्धुओं को नष्ट करता है। मेघछांह वाला नीलम मन को मैला करता है। जालयुक्त नीलम शरीर में रोग पैदा करता है आदि ऐसे दोषयुक्त नीलम नहीं धारण करने चाहिये।
नीलम का उपयोग-नीलम का उपयोग शनिग्रह की शान्ति के लिये धारण किया जाता है। इसका उपयोग करने पर परिवार में सुख, शान्ति तथा धन-सम्पत्ति आदि में वृद्धि होती है।
८. गोमेद रत्न (Zircon, Hessonite)
बाली के मद से उत्पन्न रत्न गोमेद कहलाता है। गोमेद रत्न का स्वामी राहुग्रह है। गोमेद रत्न की उत्पत्ति निम्न देशों में होती है। हिमालय और विन्ध्याचल के शिखर पर तथा सरस्वती के किनारे सलिना देश, चीन, बर्मा,
अरब, महानदी, सिन्धु आदि जगहों पर पैदा होता है। इसका वर्ण लाल, पीला, श्यामतामिला, गोमूत्र मधु धूलि-धूसर, अंगारा सूर्य उल्लू या बाज के नेत्रों के समान होता है।
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