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* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * हीरा जड़वाकर पहनाना चाहिये। अपने वर्ण का हीरा धारण कर ब्राह्मण सात जन्म तक वेद, पुराण एवं शास्त्र का ज्ञाता होता है। क्षत्रिय अपने वर्ण का हीरा धारण कर रणविजय, शत्रु विनाशकारी व तेजस्वी होता है। तथा पुत्रधन, सुख-सम्पत्ति, बुद्धि पाकर प्रजा को सुखी रखता है। अच्छे गुण वाले हीरे धारण करने से भूत-प्रेत और विषधारी जीव से रक्षा करता है।
हीरे के दोष-दूषित हीरे भयप्रद, सुख सम्पत्ति नाशक होते है। रक्त चिन्ह हीरा हाथी, घोड़े पशु आदि की हानि करता है। लाल धब्बे वाला हीरा धन, वंश, पुत्र आदि का नाश करता है। रेवड़ी रेखा वाला हीरा मृत्युकारक, तिरछी रेखा वाला स्त्री कष्टकारक, छ: कोण वाला हीरा या तेज-धार अष्टकोण साफ हीरे के बीच यदि पैर पड़ जाय तो वह व्यक्ति तत्काल मृत्यु को प्राप्त होता है। पीले निशानवाला हीरा वंशनाशक, अबरखी आभा वाला हीरा रोगप्रद होता है। ऐसे दूषित हीरे नहीं धारण करना चाहिये।
हीरे का उपयोग-हीरे का उपयोग शुक्र ग्रह की शान्ति के लिये आभूषण के रूप में पहना जाता है। हीरा धारण करने से व्यक्ति का आकर्षण बढ़ता है तथा धन, पुत्र व्यापार में वृद्धि होती है। औषधि रूप में मन्दाग्नि, वीर्य हीनता, वीर्य स्खलन, सन्तान हीनता, दुर्बलता आदि रोगों में उपयोग करते हैं।
७. नीलम रत्न (Blue Sapphire) बलि की नेत्र पुतलिकाओं से इन्द्रनील मणि उत्पन्न हुई। जिसके स्वामी शनिदेव हैं। हिन्दी में नीलम, फारसी में नीलाबिल याकूत कहते हैं। यह रत्न हिमालय, सीलोन, विन्ध्यप्रदेश, महानदी, काबुल, मुलतान, कलिंग, सिंहलद्वीप, जावा और ब्रह्मपुत्र में अधिकतर पाया जाता है। यह रत्न महादेव के कण्ठ के समान नीला, नीलकण्ठ के पंख, अफीम, नीलकमल, कोकिला की गर्दन, नीलगिरी की नीली छांह, इन्द्रधनुष के बीच के रंग का नीलम रत्न होता है।
नीलम के लाभ-चिकना, चमकदार, शुद्ध घाट का साफ तथा मोरकंठ और अलजी के समान रंग वाला नीलम अच्छा होता है। असली नीलम दूध
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