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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * कष्टों को दूर करता है। पन्ना रत्न का उपयोग बुध ग्रह की शान्ति के लिये धारण किया जाता है। आभूषण में अंगूठी में जड़वाकर पहनने से धनसम्पत्ति में वृद्धि व भूत-प्रेत, पागलपन, मिरगी, जादू-टोना आदि को दूर करता है। औषधि रूप में ज्वर नाशक, अर्श, सन्निपात, वमन, विष, दमा आदि रोगों को नष्ट करता है।
५. पुखराज रत्न (Topaz, Yellow Sapphire) __ इस रत्न को हिन्दी में पुखराज व फारसी में जर्दयाकूब कहते हैं। इसका स्वामी गुरूग्रह है। केसर, गोरोचन, हल्दी, नींबू, कमरख, सूर्योदय तथा काली मेरूगिरी के समान इसका रंग होता है। यह अधिकतर विन्ध्याचल, हिमालय पर्वत, महानदी, ब्रह्मनदी तुर्किस्तान, ईरान, सीलोन तथा उड़ीसा प्रदेशों में पाया जाता है। सफेद-पीला पुखराज ब्राह्मण को, सुर्ख, पीला पुखराज क्षत्रिय को, काला-पीला शूद्र तथा गहरा पीला पुखराज वैश्य को धारण करना चाहिये।
__ पुखराज के लाभ-चिकना, चमकदार और पानीदार पीले अच्छे रंग और अच्छे घाट का पुखराज लाभकारी होता है । यह रत्न बलबुद्धि, यश, वंश, धन सम्पत्ति आदि की वृद्धि करता है तथा भूत प्रेत रोग आदि दूर करता
दोष-दुरंगा, अबरखी, चीर, सुन्न, दूधक श्याम सफेद तथा लाल छींटे वाला पुखराज दूषित होता है। इसके निम्न दोष हैं-सुन्न पुखराज बन्धुजनों में बैर कराने वाला तथा दूधक पुखराज शरीर पर चोट लगाने वाला तथा क्लेशवर्द्धक होता है। लाल बिन्दु वाला पुखराज धन सम्पत्ति नष्ट करता है। अत: ऐसे दोष वाले पुखराज रत्न नहीं धारण करना चाहिये। गुणयुक्त रत्न धारण करना चाहिये।
पुखराज का उपयोग-पुखराज बृहस्पति ग्रह के दोषों को शान्त करने व उनके यश को बढ़ाने के लिये धारण करते हैं । यह बल, बुद्धि, आयु, स्वास्थ्य, यश, कीर्ति, धन-धान्य आदि की वृद्धि करता है तथा आध्यात्मिक विचारों की वृद्धि करता है।
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