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रत्नों के प्रभाव की अवधि प्रत्येक रत्न को धारण करने के लिये एक निश्चित माप और समय तय किया गया है। अत: निश्चित माप का रत्न धारण करना ही लाभप्रद होता है उससे कम या अधिक नहीं। इनके माप निम्न प्रकार होते हैं
सूर्यरत्न माणिक्य (Ruby) यह रत्न जितना बड़ा धारण किया जाये उतना ही उत्तम होता है। ३ रत्ती से कम वजन का माणिक्य धारण करना बेकार है। अतः ३ रत्ती का रत्न उत्तम है तथा माणिक्य जड़े जाने वाले सोने की अंगूठी का वजन ५ रत्ती से कम नहीं होना चाहिये।माणिक्य का प्रभाव अंगूठी में जड़ाने के समय से चार वर्षों तक रहता है। इसके बाद दूसरा माणिक्य जड़वाना चाहिये।
चन्द्र रत्न मोती (Pearl) अंगूठी पहनने के लिये ४ रत्ती का श्रेष्ठ मोती लेना चाहिये। इसके लिये अंगूठी भी सोने या चाँदी की होनी चाहिये अन्य धातु की नहीं। सोने या चाँदी की अंगूठी का वजन ४ रत्ती से कम नहीं होना चाहिये। मोती जब तक टूटे-फूटे नहीं, उसकी आभा बनी रहे, तभी तक प्रभाव रहता
है।
मंगल रत्न मूंगा (Coral) मूंगा कम से कम ८ रत्ती का होना चाहिये तथा ६ रत्ती वजन की सोने की अंगूठी में मढ़वाना चाहिये, वजन इससे ज्यादा हो तो श्रेष्ठ है। इसका
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