________________
९४
* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * करके धारण करता है उसकी समस्त बाधाओं का समूल नाश हो जाता है। मोती का उपयोग
मोती का प्रयोग भिन्न-भिन्न रूपों में किया जाता है। जो मोती रूपरंग में व आकार में सुन्दर होते हैं। अनेक आभूषण बनवाकर पहने जाते हैं। कुछ लोग केवल मोतियों की माला पसन्द करते हैं, मोती का पाउडर भी शारीरिक सौन्दर्यता व कान्ति को बढ़ाने वाला होता है।
मोती को पहनने से बल, बुद्धि, ज्ञान व सौन्दर्य को बढ़ाता है तथा धन, यश, सम्मान एवं सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूरा करता है। अत: मन शान्त रहता है तथा धार्मिक भावना को पुष्ट करता है।
दोषी मोतियों को औषधि के रूप में प्रयोग करते हैं जैसे टेड़े-मेढ़े, टूटे-फूटे मोती। औषधि रूप में मोती को अनेक रोग पर प्रयोग किया जाता
है।
उदाहरण के लिये हृदय रोग, मूत्रकृच्छ, पथरी, अंश, दन्तरोग, मुख रोग, उदर विकार, पेट दर्द, गठिया, नेत्र रोग, मियादी बुखार, शारीरिक दुर्बलता आदि रोगों को नष्ट करता है।
दक्षिणी भारत में पुत्री की शादी में मोती जड़ा कोई आभूषण या मोती अवश्य देते हैं।
चीन में मृतक के मुख में मोती का दाना रख कर दाह-संस्कार करते हैं। इस प्रकार दाह-संस्कार करने पर मृतक को स्वर्ग मिलता है। ऐसा उनका विश्वास है।
जापानी बौद्धों का विश्वास है कि मोती ईश्वर के द्वारा उत्पन्न किया हुआ है। अत: इसको पास रखने से ईश्वरीय शक्ति प्राप्त होती है।
इसके अतिरिक्त वेदों के अनुसार मोती भस्म सेवन करने से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. मूंगा रत्न (Coral) मूंगा रत्न का स्वामी मंगल ग्रह है। इसे हिन्दी में मूंगा व फारसी में 'मिरजान' कहते हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org