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* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान *
उन्नतीस मोहरे इसी प्रकार शास्त्रों में उन्नतीस मोहरे भी बताये गये हैं जो ऐसा ही फल देते हैं। यहाँ जानकारी हेतु इनके नाम दिये जाते हैं१. मंगलमुखी
२. मोहनी मोहरा ३. जगजीत मोहरा
४. कष्टी मोहरा ५. नजर मोहरा
६. लहरी मोहरा ७. त्रिवेणी
८. शिवसुलोचनी ९. गौरी शंकर
१०. मारु मोहरा ११. सुलेमानी मोहरा १२. खजरी मोहरा १३. जहरी मोहरा
१४. विग्रही १५. सूर्यमुखी
१६. चन्द्रमुखी १७. जवाहर मोहरा १८. हल्दिया मोहरा १९. सूढिया मोहरा
२०. सिन्धी मोहरा २१. बच्छ नागी
२२. मोर मोहरा २३. सर्प मोहरा
२४. पायणहर मोहरा २५. संखिया
२६. नक्षत्री.मोहरा २७. अलमनिया
२८. अग्निशोषण २९. जलतैर मोहरा।
बनावटी रत्न असली रत्नों की नकल तैयार करने का प्रचलन बहुत पुराना है। मिस्र में प्राचीन काल से ही नकली मूल्यवान रत्न बनाये जाते थे। सन् १७५८ में बियना के जोसफ स्ट्रासरे ने एक ऐसा काँच का आविष्कार किया जो कटाई के बाद हीरे जैसा लगता है। इस प्रकार के नकली रत्नों के व्यापार पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। फिर भी पेरिस आदि बड़े शहरों में नकली रत्नों का व्यापार बड़े धड़ल्ले से होता है। सन् १९४५ तक चेकोस्लोवाकिया में नकली काँच के गहनों का व्यापार चरम सीमा पर था। बाद में बावेरिया में भी इस प्रकार के उद्योग शुरू हो गये। उस समय काष्ट्यूम ज्वेलरी के लिये सस्ते
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