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अनिष्ट ग्रहों की शान्ति के लिए रत्न एवं उपत्न
शुभ ग्रहों के प्रभाव में वृद्धि और अनिष्ट ग्रहों के कुप्रभाव के निवारण हेतु उपयुक्त ग्रह रत्न (नग) धारण करना अत्यन्त लाभदायक सिद्ध होते हैं। अपनी जन्म कुण्डली में स्थित ग्रहों की स्थिति एवं अपनी राशि के अनुसार ही उपयुक्त रत्न (नग) का चयन करना चाहिए, अन्यथा कई बार लाभ की अपेक्षा गलत नग धारण करने से हानि की सम्भावना हो जाती है। धारण करने की विधि, उपयोगादि का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है
सूर्य-रत्न माणिक्य (Ruby) संस्कृत में इसे माणिक्य, पद्मराग, हिन्दी में माणक, मानिक, अंग्रेजी में रुबी कहते हैं सूर्य रत्न होने इस ग्रह रत्न का अधिष्ठाता सूर्यदेव हैं।
पहचान विधि१. असली माणिक्य लाल सुर्ख वर्ण का पारदर्शी, स्निग्ध, कान्तियुक्त __ और कुछ भारीपन वजन लिए होते हैं अर्थात् हथेली में रखने से हल्की उष्णता एवं सामान्य से कुछ अधिक वजन का अनुभव
होता है। २. काँच के पात्र में रखने से इसकी हल्की लाल किरणें चारों ओर
से निकलती दिखाई देंगी। ३. गाय के दूध में असली माणिक्य रखा जाए तो दूध का रंग गुलाबी
दिखलाई देगा। धारण विधि-माणिक्य रत्न रविवार को सूर्य की होरा में, कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा नक्षत्रों, रविपुष्य योग में सोने अथवा ताँबे की
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