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* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * सम्मान में वृद्धि होती है। ५. चन्द्र-धन में विशेष वृद्धि होगी। पुत्र की आयु और स्वास्थ्य में वृद्धि
होगी। स्मृति शक्ति बढ़ेगी। ६. शनि-स्वास्थ्य में सुधार होगा, शत्रु कम होंगे और पिता को अधिक
सम्मान की प्राप्ति होगी। ७. सूर्य-धन और सम्मान की वृद्धि होगी। रोगों का शमन होगा। परिवार
में शान्ति बनी रहेगी। सुख और सौभाग्य प्राप्त होगा। मीन लग्न के लिए पुखराज व मोती धारण करना लाभप्रद होगा।
लग्नानुसार रत्न धारण करने की विधि
रत्न का कार्य सम्बन्धित ग्रह की शक्ति की बढ़ोत्तरी करना ही है। अर्थात् रत्न कभी भी शक्ति कम नहीं करता। अतः रत्न पहनने से पहले ज्योतिष के निम्नांकित सिद्धान्त भी ध्यान में रखें
म रत्न के विरोधी रत्न को कभी नहीं पहनना चाहिए बल्कि मित्र
रत्न यदि आवश्यक हो तो लिया जा सकता है। - जन्म कुण्डली में वक्री और मार्गी ग्रह भी देखना चाहिए क्योंकि
पापी वक्री ग्रह की शान्ति जरूरी है। * जन्म कुण्डली में उदय-अस्त भी देखना चाहिए क्योंकि अस्त
ग्रह से सम्बन्धित नग पहनने से ग्रह की शक्ति बढ़ती है। * कुण्डली में ग्रह की दृष्टि, दशा और अंतरदशा का भी ध्यान
रखना चाहिए। र कुण्डली में ग्रह का अंश भी देखना चाहिए। * यदि पुरुष अपने बायें हाथ में नग पहनेगा तो उसकी स्त्री को
लाभ मिलेगा। ठीक इसके विपरीत स्त्री दायें हाथ में नग धारण
करेगी तो उसके पुरुष को लाभ मिलेगा। - हाथ की प्रत्येक उंगली क्रमशः तर्जनी-गुरु, मध्यमा-शनि,
अनामिका-सूर्य, कनिष्ठा-बुध का प्रतिनिधित्व करती है जैसेहीरा यदि लाभकर हो तो उसे तर्जनी में पहन लिया जाए तो शुक्र
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