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* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * एवं पुष्य, उभा, चित्रा, स्वाति, धनिष्ठा या शतभिषा नक्षत्रों में शनि के बीज मन्त्र “ॐ प्रां. प्री. प्रौं. सः शनये नमः" मन्त्र से २३,००० की संख्या में अभिमन्त्रित करके धारण करें। तत्पश्चात् शनि की वस्तुओं का दान दक्षिणा सहित करना कल्याणकारी होगा।
राहु-रत्न गोमेद (Zircon) राहु रत्न गोमेद को संस्कृत में गोमेदक, अंग्रेजी झिरकन (Zircon) कहते हैं । गोमेद का रंग गोमूत्र के समान हल्के पीले रंग का, कुछ लालिमा तथा श्यामवर्ण होता है। स्वच्छ, भारी, चिकना गोमेद उत्तम होता है तथा उसमें शहद के रंग की झांई भी दिखाई देती है।
पहचान विधि-सामान्यतः गोमेद उल्ल अथवा बाज की आँख के समान होता है तथा गोमूत्र के समान, दल रहित अर्थात् जो परतदार न हों, ऐसे गोमेद उत्तम होंगे। शुद्ध गोमेद को २४ घण्टे तक गोमूत्र में रखने से गोमूत्र का रंग बदल जाएगा।
धारण विधि-गोमेद रत्न शनिवार को शनि की होरा में, स्वाती, शतभिषा, आर्द्रा अथवा रविपुष्य योग में पंचधातु अथवा लोहे की अंगूठी में जड़वाकर तथा राहु में बीज मन्त्रों द्वारा अंगूठी अभिमन्त्रित करके दाएँ हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए। इसका वजन ५, ७, ९ रत्ती का होना चाहिए।
राहु बीज मन्त्र- 'ॐ भ्रां भ्रीं, ध्रौं सः राहवे नमः"।
धारण करने के पश्चात् बीजमन्त्र का पाठ हवन एवं सूर्य भगवान् को अर्घ्य प्रदान कर नीले रंग का वस्त्र, कम्बल, तिल, बाजरा आदि दक्षिणा सहित दान करें।
विधिपूर्वक गोमेद धारण करने से अनेक की बीमारियाँ नष्ट होती हैं, धन-सम्पत्ति, सुख, सन्तान वृद्धि, वकालत व राजपक्ष आदि की उन्नति के लिए अत्यन्त लाभकारी है। शत्रु-नाश हेतु भी इसका प्रयोग प्रभावी होता है।
जिनकी जन्म कुण्डली में राहु १, ४, ७, ९, १०वें भाव में हो, उन्हें गोमेद रत्न पहनना चाहिए। मकर लग्न वालों के लिए गोमेद शुभ होता है।
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