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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ शीतलता प्रदान करता है। गुण-'पन्ना' धारण करने से बुद्धि तीव्र एवं स्मरण शक्ति बढ़ती है। विद्या, बुद्धि, धन एवं व्यापार में वृद्धि के लिए लाभप्रद माना जाता है। पन्ना सुख एवं आरोग्यकारक भी है। यह रत्न जादू-टोने, रक्त विकार, पथरी, बहुमूत्र, नेत्र रोग, दमा, गुर्दे के विकार, पाण्डु, मानसिक विकलतादि रोगों में लाभकारी माना जाता है।
धारण विधि-यह नग शुक्ल पक्ष के बुधवार को आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती, पू.फा., अथवा पुष्य नक्षत्रों में अथवा बुध की होरा में सोने की अंगूठी में दाएँ हाथ की कनिष्ठिका (छोटी) अंगुली में बुध ग्रह के बीज मन्त्र से अभिमन्त्रित करते हुए धारण करना चाहिए। इसका वजन ३, ६, ७ रत्ती होना चाहिए।
बुध बीज मन्त्र-ओं ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।
वृष, मिथुन, सिंह, कन्या, मकर व मीन राशि वालों को विशेष लाभप्रद रहता है।
गुरु-रत्न पुखराज (Topaz) पुखराज गुरु (बृहस्पति) ग्रह का मुख्य रत्न है। संस्कृत में इसे पुष्प राजा, हिन्दी में पुखराज व अंग्रेजी में टोपाज (Topaz) कहते हैं।
पहचान विधि-जो पुखराज स्पर्श में चिकना, हाथ में लेने पर कुछ भारी लगे, पारदर्शी, प्राकृतिक चमक से युक्त हो वह उत्तम कोटि का माना जाता है।
परीक्षा१. जहाँ किसी विषैले कीड़े ने काटा हो, वहाँ पर असली पुखराज
घिस कर लगाने से विष उतर जाता है। २. चौबीस घण्टे कच्चे दूध में रखने के बाद यदि चमक में अन्तर न
पड़े तो पुखराज असली होगा। इत्यादि। गुण-पुखराज धारण करने से बल, बुद्धि, स्वास्थ्य एवं आयु की वृद्धि होती है। वैवाहिक सुख, पुत्र सन्तान कारक एवं धर्म-कर्म में प्रेरक
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