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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * बैंगनी रंग की कमी से हमारे शरीर में लकवा, बहरापन, साईटिक, जोड़ों का दर्द, पागलपन, मिरगी, उल्टी, सिरदर्द आदि हो जाते हैं। ल्यूकोड्रमा के निवारण के लिए बैंगनी रंग का नीलम सहायक है।
बैंगनी रंग वायु तत्त्व है और वायु का संचालक शनि । स्वाभाविक है कि आवागमन का मालिक भी शनि है। अत: सड़क दुर्घटनाएँ व मौत का जिम्मेदार बैंगनी रंग उर्फ शनि है।
हरा रंग (संचालक-बुध) हरा रंग पृथ्वी तत्त्व से सम्बन्धित है। यह बसन्त ऋतु का प्रतीक है। नए जीवन को प्रदान करता है। जीने के नए आयाम तैयार करता है। खुशियाँ, जिन्दादिली प्रदान करता है। निराशा में आशा लाता है। हरे रंग से प्रभावित जातक कुछ न कुछ नयापन चाहते हैं। लापरवाह, अविश्वसनीय, मेहनती होते हैं । समय की ताक में रहते हैं । हरा रंग मानसिक स्तर के बारे में बताता है तथा दिमाग पर नियन्त्रण रखता है। हरा रंग 'आगे बढ़ो' का संकेत है। इसलिए ट्रैफिक में हरा रंग 'चलते रहो' को दर्शाता है।
हरे रंग की कमी से शरीर में गैस, दस्त, पेप्टिक अल्सर, अस्थमा, हृदय रोग आदि हो जाते हैं। हरा रंग बुद्धि, व्यापार चातुर्य को बढ़ावा देता है।
आसमानी रंग (संचालक-गुरु) यह आकाश का रंग है। यह रंग-प्रेम, संगीत, धर्म, दया व शान्ति का प्रतीक है। इसका संचालक बृहस्पति वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह ठण्डा रंग है। यदि आपका बेडरूम आसमानी हो तो नींद गहरी व अच्छी आएगी। पागल व्यक्ति को नियन्त्रित करने के लिए आसमानी रंग की जरूरत होती है। हिस्टीरिया से पीड़ित औरतों के निवारण के लिए आसमानी रंग बहुत महत्त्वपूर्ण है। मिरगी के दौरे वाले मरीजों के लिए आसमानी रंग चिकित्सा अति उपयोगी होती है। गर्मियों में आसमानी रंग के कपड़े पहनने से शरीर में ज्यादा गर्मी नहीं बढ़ती।
आसमानी रंग ग्लैण्ड्स, मोटापा, सिद्धान्तों पर नियन्त्रण रखता है।
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