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श्रीमद्भगवद्गीता अब तमोगुणके आश्रयमें मोहप्रस्त हो जाओ, तो "अधोगच्छन्ति तामसाः" इस वचन अनुसार तुमको अधापतित होना होगा। अतएव अब शौर्या, तेज, धृति इत्यादिका अवलम्बन करके यथानियम से प्राण-चालन क्रिया करते रहो। सूक्ष्म प्राणरूप शर-सन्धानसे प्रतिकूल वासना वृत्ति समूहको विनष्ट करो ॥२४॥
इति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्र श्रीकृष्णार्जुन संपादे देवासुरसम्पद्विभागयोगो नाम
षोड़शोऽध्यायः।