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श्रीमद्भगवद्गीता गीतामर्थयुक्तां माहात्म्यं यः शृणोति च। पुण्यफलं लोके भवेत् सर्वसुखावहम् ॥ ८४ ॥ इति श्रीवैष्णवीयतन्त्रसारे श्रीमद्भगवद्गीतामहात्म्यं समाप्तम् ।
गीता पाठ करके जो माहात्म्यका पाठ नहीं करते उनका पाठफल वृथा श्रममात्र है ।। ८२॥ ___ जो इस माहात्म्य संयुक्त गीताका पाठ करते हैं और जो श्रद्धापूर्वक श्रवण करते हैं वह परमा गतिको प्राप्त होते हैं ॥ ८३ ॥ .
जो अर्थयुक्त गीता श्रवण करके माहात्म्य भी श्रवण करते हैं जगत् मैं उन्हें सर्व सुखावह पुण्यफल लाभ होता है ॥ ८४ ॥
- वैष्णवीय तन्त्रसारोक्त गीतामाहात्म्य समाप्त ।