Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण समुच्चयः बंघहेवय त्रिभंगा ॥ ८॥ &ा सायरसूरिणा गुणवया. य. बुद्धिमया । कारण सुहियं तेणं विलोहित्य मागियजाण ॥३५॥ सिरिउत्तमविजयाणं सीसोनामेण उमविजयोति । हा देणापगरण इयं मामबहवस्समारोजं ॥ ३.६ ॥ इति गंगेयऋषिकृत:च्छा-उत्ता भंगप्ररूपणामकरणम् ।। श्री आनन्दविमलमूरिसद्गुरुभ्यो नमः ॥ अथ :६२ मारमेणामु बंधहेतूदयविभंगीप्रकरणम् ॥८॥ बंधशहेउविमुक्कं बंदित्ता युद्धमापतित्ययरं । गुणसहिअमग्मणेसु भणामि हेउदयसामित्तं ॥१॥ मिच्छे :१ सालण २ मीसे ३ अविरय ४ देसे ५ पमत्त ६. अपमत्ते १७ । निअट्टि ८ अनियट्टि ६ मुहुमु १० वसम ११ खीण १२ सजोग१३ जोगि१४ गुणा ॥२॥ गइ १ इंदिए य २ काये ३ जोए ४ वेए ५ कसाय ६ नाणेसु ७.। संजम ८ दंसण एलेसा १० भव ११ सम्मे १२ सन्नि१३ श्राहारे १४ ॥ ३ ॥ नरय १ तिरि.२ नरः ३ सुर ४ गइ (१) इग१ विय २ तिय ३ चउ ४ पणिदिया ५ नेया ।। (२) पुढधी १ जलं२ व जलणो ३ पवण ४ वण ५ तसा य६ छकाया (३)॥४॥ सच्चे १ यर २ मीस ३ अपच्चमोस मण क्य, उराल वेउव्वं १० श्राहारं ११ तम्मिस्सं १४ कम्मण १५ मित्र पन्नरस जोगा (४) ॥ ५॥ वेय नरिस्थि २ नपुंसा३(५) असा १ अपचक्खाण २ * पच्चखाणा३य । सेजलण ४ कोह १माण २ माया ३ लोभत्ति ४ सोलस कसाया (६) ॥ ६॥ [गीती] मइ १ सुय २ वहि ३ मणपज्जव ४ केवल नाणा ५. य मइ १ सुअन्नाणार । विभंग३ जुया अट्ट य ७) सामाइय१ छेअ २ परिहारा३ १७।। सुहुम ४ अक्खाय५ संजम देसजइ ६ अजय ७.संजमा सत्त (८)। चक्खु १ अपक्खू २ मोहो ३ केवल ४ देसण चउकभिणं (६) सदा किएहा १ नीला २ 1॥८॥ . For Private and Personal Use Only

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