Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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प्रकरण समुच्चयः
CANCERRACK
॥ अथ गांगेयभंगप्रकरणम् ।।७।।
मांगेयभंग नामऊण महावीरं गंगेयसुपुटुभंगपरिमाणं । पुवप्पगरणसेस वुच्छं सुगुरूवएसेणं ॥ १॥ वाणियगामे नयरे भयवं वीरो समोसढो ।
प्रकरण नाणी । पासावचिज्जो बह गंगेओ आगो तत्थ ॥ २॥ तस्सासंका जाया एसो किमु अत्थि इंदजालुत्ति । पसिणाई महत्थाई पडिपुच्छइ हेउणा तेणं ॥३॥ पुच्छाउत्तरसयलं नायव्वं पंचमंगनवमसया । इह उण संखेवत्थो भणामि निश्चं ससरणट्टा ॥ ४॥ एगंमि य नरगंमी भंगा सग हुँति जइ असंखेज्जा । इगवीसा दुगनिरए पणतीसा तिन्नि नरगमि ॥ ५ ॥ चउसुवि पणतीमायो पंचसु इगवीस भंगसंखाओ। छगनरगे सग भंगा सत्तसु पुढवीसु एगो य॥६॥जे एगमि उ नरए सगभंगा छग्गुणा बियालीसं । दुगनिरयाओ दुभागे हवंति हरिया हु इगवीसा ॥७॥ एगूणा उण किउजइ निरयपमाणेण दिज्जई भागो । इगवीसा पणगुणिया जायइ पंचुत्तरसयं च ॥८॥ ते य तिभागे हरिया हुँति पणास तिन्नि नरगंमि । चत्तसयं चउभागे हरिया पणतीस भंगाओ॥ ६ ॥ तिगुणा पंचुतरसय भंगा इगवीस पंचभागंभि । बायालसिं दुगुणा छगभागे सत्त भंगा य॥१०॥ अह उण विगप्पमाणं पगविगप्पो य दुन्नि जीवाणं । तिगजीवाण दुजोगा दुन्नि तिग जोग एगेव ॥११॥ चउजीवाण दु जोगा तिन्नि य तिगजोग तहय तिन्नेव । चउजोगो एगेव य अ पण जीवाण सुणसुकमा ॥१२॥ दुतिच उपंचयजोगा चउ छञ्चउ एग अह छजीवाणं ।। दुतिचउपंचछजोगा पणदसदसपणेग नेयं च ॥ १३ ॥ छ पण दस बीस पण दस छगदुगाईसगंत सत्तरहं । अट्टाहं जीवाणं दुगाइअटुंत संजोगा ॥ १४ ॥ सग इगवीस पणतीस पणतीसिंगवीस सत्त एगो य । नवजीवाण दुगाई नवंतमयोग कायज्वा ॥ १५ ॥ अट्ठ
10॥६॥ ढवीस छप्पन्न सयरी छप्पन्न अट्टवीसट्टा । एगविगप्पो एसिं अह दहजीयाण संजोगा ॥१६॥ नव छतीस य चुलसी छब्बीसुत्तरसयं च पण
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