Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण समुच्चयः RECAMERIC गांगेयभंग प्रकरणम ४! जोगा । पुण छब्बीसुत्तर सय चुलसी छत्तीस नव एगो ॥१७॥ इच्चाईयविगप्पा जीवपमाणेण अक्खचालणया । कायव्या पुण एसिं सुणसु उवायं समग्गाणं ॥१८ ।। जइसंखा हुंति जिया दुगपंजोगा हवंति एगणा । संजोगि तिगाईणं तिगाइरासी ठवेयब्वा ॥ १६ ॥ पुव्वविगप्पा पढमंकगुणणा काऊण सेसकाणं । भाइज्जइ जं लब्भइ मुणसु पमाणं तिगाईणं ॥२०॥ जह पणजीवाणं इह दुगसंजोगा वति चत्तारि । तिगसंजोगाणं पुरण ठविज्ज रासीवि तिन्नेव ॥२१॥ तिन्नि य एगो एगो दुगजोगा पढमअंक गुणियब्वा । बारस सेस दुभत्ता तिगजोगा हुँति छकचेव ॥ २२॥ भंगा य पइविगप्पे पुवुत्ता नरगभंगगुणियब्वा । अह पुण सव्वविगप्पा जीवाणं हुंति ते भणिमो ॥२३॥ तिगजीयाण विगप्पा दुगेण गहिया चउण्ह जीवाणं । ते पुण दुगेणग हिया पंचजिाणं मुणेयव्वा ॥२४॥ एवं कमेण सव्वत्थ अह भंगा सब्बजीवरामीणं । एगेगहिया किजजइ संखामाणं विभत्ताओ ॥२५ ।। सगपढमपुढविभंगा अष्टगुणा ते बिजीवपविभत्ता। अदाबीसं भंगा दुगजीवाणं विधाणाहि ।। २६ ॥ तेवि अ नवगुणियाओ एवं इकिकरूबवुड़ाए। जीवपमाणविभत्ता संखा बुद्धहिं नायव्वा ॥२७॥ पुव्वसूरीहिं नढुद्दिष्ट्रपत्थारभासियो नेश्रो । वित्थरओ पुण सुत्ता नायव्वो सुहुमदिट्ठीहिं ॥ २८ ॥ गंगेभो अह सुच्चा भयवं वीरानो भंगजालमिणं । भयवं उवरिं जाओ सव्वभूपधाओ तस्स ।। २६ ॥ वंदइ नमसई अह आयरबहुमाणभत्तिपुव्वं च । गंगेओ संजाओ समिश्रो गुत्तो विसेसणं ॥३०॥ | चउजामाओ धम्मा पडिवज्जइ पंचजामधम्मं च । नाणकिरियादिजुत्तो विहरइ निश्चं गुरुसगासे ॥३१॥ जस्सासाए कीरइ सुनग्गभावो य मुंडभावो य । श्राराहिओ तयट्ठो सिद्धो परिनिव्वुडो बुद्धो ॥३२॥ धन्नो सो गंगेओ जेणेवं वीर जगगुरू पुट्ठो। धन्ना ते चिय पुरिसा दिट्ठो पहु वागरंतस्स (तो उ) ॥३३॥ धन्ना चिय मह जीहा पढमभासे हु वीरपहु थुणिो । धन्ना गुरुण बुद्धी अत्थो जेणेस परिकहिओ ॥३४॥ सिरिपुज्जोदय | A RROSAROREOS For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 133