Book Title: Prakaran Samucchay
Author(s): Ratnasinhsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरणा -अटु सया अडसीया सहसा बनीस (सोल) लक्खा य । कल बार विकलिगारस उत्तरभरद्दद्धपयरभिमं ॥५॥ दो कोडी चउलखा सहसा छप्पन्न | घनगणित समुच्चयः नव य इगसयरा । अटकला दस विकला पयरमिमं चुल्ल हिमवते ॥६॥ हेमवए छक्कोडी बावत्तरि लक्ख सहस तेवन्ना। पणयाल सयं पयरो | पंच. कला अट्ठ विकला य ||७|| गुणवीस कोडि अडवन्न लक्ख अडसटि सहस सयमगं । छलसीई दस य कला पण विकला पयर महहिमवे ॥5॥ चउपन्न कोडीओ लक्खा सीयाल तिसयरि सहस्सा । अट्ठसय सचरि सत्त कलाश्रो पयरं तु हरिवासे ॥ ६॥ बायालं कोडिसयं छावद्विसहस्स लक्ख चउपन्नं । पणसयगुणहत्तरकला । अढार निसहस्स पयरमिमं ॥१०॥ तेस, कोडिसयं लक्खा सगवन्न सहस राणयाला । तिसय दहत्तर दस.कल पनरस विकला विदेहद ॥ ११॥ इति प्रतरप्रमाणसंग्रहाथाः ।। अथ धनगणितसंग्रहगाथाः ॥६॥ बसलोयाममाए पुग. ठेवीस सहस्स. लक्क इगवना छावत्तरि छ कला य वेयाई होइ घणगांसय ॥१॥ अट्ठ सया.पणयाला वीसं बक्सा | है तिहत्तरि सहस्साः। पनरस कालाउ घणो दसुस्साए होइ बीयंभि ॥२॥ सत्ताहिया तिन्नि मया बास्स य सहस्स पंच:लक्खा य । अक्रा य बारस कला प्रमुस्सर-इ-माणमणियं ॥३॥ मत्वामीई लकखा उरणतीसहिया. य विणवइ समाई। अउणावीसभामा बउदस बेयमयलघणं पा-४॥ हिमकंति-कुसय-चन्दस कोडी छप्पन्न लक्ख सगनई । महमा चोयालमयं सोल कला बार विकल घणं ॥ ५॥ मुख्याल सया-स्तरम. कोडी तीस सस समालीसा । सहसा तिसय अदुन्दर घर विकल वणुः महाहिम्बे ॥ ६॥ सगबन्न सहम अनुर-कोडि है। ४ ॥५॥ छासहि लक्ख गुणतीसं । सहसा नव सय एगृणसीई निसहरूस घणगणियं ॥॥इति घनगणितसंग्रहगाथाः॥ - -- For Private and Personal Use Only

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