Book Title: Panchsangraha Part 04
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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( २८ )
Το
अनिवृत्तिबादरसंपरायगुणस्थान के बंधहेतु सूक्ष्मसंपराय आदि सयोगिकेवली पर्यन्त गुणस्थानों के बंधहेतु ८१
गाथा १४
पूर्वोक्त गुणस्थानों के बंधहेतुओं के समस्त भंगों की संख्या
गाथा १५
जीवस्थानों में बंधहेतु - कथन की उत्थानिका
गाथा १६
पर्याप्त संज्ञी व्यतिरिक्त शेष जीवस्थानों में सम्भव बंधहेतु और उनका कारण
गाथा १७
एकेन्द्रिय आदि जीवों में सम्भव योग और गुणस्थान
गाथा १८
शरीर पर्याप्ति से पर्याप्त छह मिथ्यादृष्टि जीवस्थानों में योगों की संख्या
शरीर पर्याप्ति से पर्याप्त संज्ञी जीवस्थान में प्राप्त योग संज्ञी अपर्याप्त के बंधहेतु के भंग अपर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय के बंधहेतु के भंग पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय के बंधहेतु के भंग अपर्याप्त चतुरिन्द्रिय के बंधहेतु के भंग पर्याप्त चतुरिन्द्रिय के बंधहेतु के भंग अपर्याप्त त्रीन्द्रिय के बंधहेतु के भंग पर्याप्त त्रीन्द्रिय के बंधहेतु के भंग अपर्याप्त द्वीन्द्रिय के बंधहेतु के भंग पर्याप्त द्वीन्द्रिय के बंधहेतु के भंग अपर्याप्त बादर एकेन्द्रिय के बंधहेतु के भंग
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