Book Title: Panchsangraha Part 04
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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महत्त्वपूर्ण प्रकाशन
१- ६. कर्मग्रन्थ [भाग १ - ६ ] सम्पूर्ण सेट मूल्य ७५)
:
जैनदर्शन की मूल कुञ्जी है - कर्म सिद्धान्त ! कर्म सिद्धान्त को सम्यक्रूप में समझने पर ही जैनदर्शन का हार्द समझा जा सकता है । कर्म - सिद्धान्त का सुन्दर व अत्यन्त प्रामाणिक विवेचन पढ़िए |
७.
कर्मग्रन्थ
मूल रचयिता : श्रीमद् देवेन्द्रसूरि
व्याख्याकार : श्री मरुधर केसरी मिश्रीमलजी महाराज सम्पादक : श्रीचन्द सुराना : देवकुमार जैन
जैनधर्म में तप : स्वरूप और विश्लेषण : मूल्य : १० )
( तप के सर्वांगीण स्वरूप पर शास्त्रीय विवेचन । तप सम्बन्धी अनेक चित्र )
८-१६. प्रवचन साहित्य
१. प्रवचन प्रभा ५)
२. धवल ज्ञान धारा ५)
३. जीवन ज्योति ५ )
४. प्रवचन सुधा ५) ५. साधना के पथ पर ५) ६. मिश्री की डलियाँ १२)
७. मित्रता की मणियाँ १५ ) ८. मिश्री विचार वाटिका २० ) ६. पर्युषण पर्व संदेश १५ )
१७- २६. उपदेश साहित्य -
सप्त व्यसन पर आठ महत्वपूर्ण लघु पुस्तिकाएँ
१८. सात्विक और व्यसन मुक्त जीवन १ )
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