Book Title: Panchsangraha Part 04
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
View full book text
________________
बंधहेतु - प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट
१३५
इस प्रकार से मिथ्यात्वगुणस्थान सम्बन्धी ग्यारह बंधप्रत्यय और उनके भंग हैं । अब बारह बंधप्रत्ययों और उनके भंगों को बतलाते हैं ।
बारह बंधप्रत्यय बनने के पांच विकल्प हैं । यथाक्रम से वे इस प्रकार जानना चाहिये
(क) मिथ्यात्व एक, इन्द्रिय एक काय तीन, क्रोधादि कषाय तीन, वेद एक, हास्यादि युगल एक और योग एक, इस प्रकार कुल मिलाकर बारह बंधप्रत्यय होते हैं । अंकन्यास का प्रारूप इस प्रकार है---
१+१+३+३+१+२+१=१२ ।
(ख) मिथ्यात्व एक, इन्द्रिय एक, काय दो, क्रोधादि कषाय चार वेद एक हास्यादि युगल एक, योग एक इस प्रकार कुल मिलाकर बारह बंधप्रत्यय होते हैं । इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है
---
१+१+२+४+१+२+१ः
१२ ।
(ग) मिथ्यात्व एक, इन्द्रिय एक, काय दो, क्रोधादि कषाय तीन, वेद एक, हास्यादि युगल एक, भयद्विक में से एक और योग एक, इस प्रकार बारह बंधप्रत्यय होते हैं । इनकी अंकरचना का प्रारूप इस प्रकार है
१+१+२+३+१+२+१+१=१२ ।
(घ) मिथ्यात्व एक, इन्द्रिय एक, काय एक, क्रोधादि कषाय चार, वेद एक, हास्थादि युगल एक, भयद्विक में से एक और योग एक, इस प्रकार बारह बंधप्रत्यय होते हैं । जो अंकन्यास से इस प्रकार हैं
१+१+१+४+१+२+१+१=१२।
(ङ) मिथ्यात्व एक, इन्द्रिय एक, काय एक, क्रोधादि कषाय तीन, वेद एक, हास्यादि युगल एक, भययुगल ( भय, जुगुप्सा) एक और योग एक, इस प्रकार बारह बंधप्रत्यय होते हैं । जिनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है
१+१+१+३+१+२+२+१=१२ ।
chang
उपर्युक्त बारह बंधप्रत्ययों के पांचों विकल्पों के भंग इस प्रकार होते हैं(क) ५× ६x२० X ४X३X२×१० = १४४००० भंग होते हैं । (ख) ५ X ६ X १५ X ४ × ३ × २ × १३= १४०४०० भंग होते हैं । (ग) ५ × ६ × १५X ४×३ × २ × २ × १० = २१६००० भंग होते हैं । (घ) ५× ६×६×४X३X२x२×१३ = ११२३२० भंग होते हैं । ६ × ६× ४× ३ × ३ XRX१९८४३२०० भंग होते हैं library.org
Jain Eduङonventional
Private & Person
Only
(3)