Book Title: Panchsangraha Part 04
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 194
________________ बंधहेतु प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट १५६ दो वेद और दो योगों की अपेक्षा ६x६x४(= १४४)x२x२x२ =११५२ । (ख) एक वेद और एक योग की अपेक्षा ६ X १५४४(=३६०)x १X २x२x १=१४४० । दो वेद और दो योगों की अपेक्षा ६ X १५X ४(= ३६०)x२x२x२ X२=५७६० । ___ (ग) एक वेद और एक योग की अपेक्षा ६x२०४४ (=४८०) x १ X२४१-६६० । दो वेद और दो योगों की अपेक्षा ६४ २०x४(=४८०)x२x२x २-३८४० । तीनों वेद और दस योगों की अपेक्षा तीनों प्रकार से उत्पन्न भंग ८६४०+ ४३२००+२८८०० =८०६४० । तेरह बंधप्रत्ययों के सर्व भंगों का कुल जोड़ (२८८+११५२+१४४० +५७६० +६६०+३८४०+८०६४=१४०८०) चौरानवै हजार अस्सी है। अब चौदह बंधप्रत्ययों के भंगों को बतलाते हैं(क) एक वेद और एक योग की अपेक्षा ६x१Xo(=२४)X १४२ X = ४८ । दो वेद और दो योगों की अपेक्षा ६४१X४(=२४)x२x२x२ -१६२ । (ख) एक वेद और एक योग की अपेक्षा ६x६x४(= १४४)x१४२ x२x१-५७६ । ___दो वेद और दो योगों की अपेक्षा ६x६x४(=== १४४)x२x२x२ X२=२३०४ । (ग) एक वेद और एक योग की अपेक्षा ६४१५४४(=३६०)x१X २४१-२० । www.jainelibrary.org | Jain Education International For Private & Personal Use Only

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