Book Title: Panchsangraha Part 04
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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बंधहेतु प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट
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दो वेद और दो योगों की अपेक्षा ६x६x४(= १४४)x२x२x२ =११५२ ।
(ख) एक वेद और एक योग की अपेक्षा ६ X १५४४(=३६०)x १X २x२x १=१४४० ।
दो वेद और दो योगों की अपेक्षा ६ X १५X ४(= ३६०)x२x२x२ X२=५७६० । ___ (ग) एक वेद और एक योग की अपेक्षा ६x२०४४ (=४८०) x १ X२४१-६६० ।
दो वेद और दो योगों की अपेक्षा ६४ २०x४(=४८०)x२x२x २-३८४० ।
तीनों वेद और दस योगों की अपेक्षा तीनों प्रकार से उत्पन्न भंग ८६४०+ ४३२००+२८८०० =८०६४० ।
तेरह बंधप्रत्ययों के सर्व भंगों का कुल जोड़ (२८८+११५२+१४४० +५७६० +६६०+३८४०+८०६४=१४०८०) चौरानवै हजार अस्सी है।
अब चौदह बंधप्रत्ययों के भंगों को बतलाते हैं(क) एक वेद और एक योग की अपेक्षा ६x१Xo(=२४)X १४२ X = ४८ ।
दो वेद और दो योगों की अपेक्षा ६४१X४(=२४)x२x२x२ -१६२ ।
(ख) एक वेद और एक योग की अपेक्षा ६x६x४(= १४४)x१४२ x२x१-५७६ । ___दो वेद और दो योगों की अपेक्षा ६x६x४(=== १४४)x२x२x२ X२=२३०४ ।
(ग) एक वेद और एक योग की अपेक्षा ६४१५४४(=३६०)x१X २४१-२० ।
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