Book Title: Panchsangraha Part 04
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 192
________________ बंधहेतु - प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट दो वेद और एक योग की अपेक्षा ६X१५X४ (=३६०)×२×२४ २=२८८० १ १५७ (ख) एक वेद और एक योग की अपेक्षा ६×६x४ (= १४४) x १ x २×२×१=५७६। दो वेद और दा योगों की अपेक्षा ६ x ६x४ (= १४४) ४२x२x२ x२=२३०४ । (ग) तीनों वेद और दस योगों की अपेक्षा दोनों प्रकार के उत्पन्न भंग - २१६००+१७२८०=३८८८० । दस बंधप्रत्यय सम्बन्धी इन सर्व भंगों का जोड़ ( ७२०+२८८०+५७६ + २३०४+३८८८० - ४५३६० ) पैंतालीस हजार तीन सौ साठ है । ग्यारह बंधप्रत्यय सम्बन्धी भंग इस प्रकार उत्पन्न होते हैं (क) एक वेद और एक योग की अपेक्षा ६x२०x४(=४८०)×१X २x१= ६६० । दो वेद और दो योग की अपेक्षा ६x२० X ४ ( = ४८०) २४२x२ = ३८४० । (ख) एक वेद और एक योग की अपेक्षा ६ X१५X४ (= ३६०)×१× २×२×१=१४४० । दो वेद और दो योग की अपेक्षा ६ X१५X४ ( = ३६०) २x२x२ x२=५७६० । (ग) एक वेद और एक योग की अपेक्षा ६ x ६×४(= १४४)×१×२ X१=२८८ । दो वेद और एक योग की अपेक्षा ६४६x४ ( = १४४)×२x२x१ =११५२ । तीनों वेद और दस योगों की अपेक्षा तीनों प्रकार से उत्पन्न भंग २८८०० +४३२००+८६४० =८०६४० । www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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