Book Title: Panchsangraha Part 04
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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बंधहेतु-प्ररूपणा अधिकार : गाथा ११
इस प्रकार से सासादनगुणस्थान में प्राप्त होने वाले जघन्य से उत्कृष्ट पर्यन्त ( दस से सत्रह तक ) के बंधहेतुओं और उनके भंगों को जानना चाहिये। इन सब बंधहेतु-प्रकारों के भंगों का कुल योग (३,८३,०४० ) तीन लाख तेरासी हजार चालीस है।
सासादनगुणस्थान के बंधहेतुओं के प्रकारों और उनके भंगों का सरलता से बोध कराने वाला प्रारूप इस प्रकार है
बंधहेतु
कुल भंग
प्रत्येक विकल्प हेतु-विकल्प
के भंग | १ वेद, १ योग, १ युगल, १ । इन्द्रिय-असंयम, ४ कषाय, १ कायवध
६१२०
६१२०
पूर्वोक्त दस और कायद्विकवध ।
२२८० भय | ६१२०
जुगुप्सा
४१०४०. पूर्वोक्त दस, कायत्रिकवध ३०४०० "
कायद्विकवध, भय २२८०० " " , जुगुप्सा २२८००
भय, जुगुप्सा ___६१२० ८५१२० पूर्वोक्त दस, कायचतुष्कवध
२२८०० कायत्रिकवध, भय
३०४०० , जुगुप्सा ३०४०० कायद्विकवध, भय,
जुगुप्सा
| २२८०० । १०६४०० पूर्वोक्त दस, कायपंचकवध ६१२०
, कायचतुष्कवध, भय | २२८०० Jain Education International For Private & Personal Use Ortly
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१४ ।,