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(xvi)
एक ऐतिहासिक दस्तावेज
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डॉ. महावीरमल लोढ़ा द्वारा लिखित 'ओसवंश: उद्भव और विकास' के प्रथम खण्ड 'जैनमत और ओसवंश' का अवलोकन किया। इसमें वर्ण एवं जातियों की उत्पत्ति, जैन दर्शन, ओसवंश का उद्भव, ओसवंश की 2400 गोत्रों की सूची, गोत्रों का विश्लेषण किया, यह श्रमसाध्य एवं प्रशंसनीय कार्य है। लेखक ने गहन अध्ययन कर अनेक ग्रन्थों शिलालेखों, पट्टावलियों से शोध कर समाजोपयोगी महत्वपूर्ण कार्य किया है।
इस पुस्तक का कार्य सराहनीय है एवं वन्दनीय है ।
डॉ. महावीरमल लोढ़ा के साहित्यिक यज्ञ का यह महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान
है ।
यह ऐतिहासिक दस्तावेज सिद्ध होगा, ऐसी कामना है।
श्री कृष्णमल लोढ़ा पूर्व न्यायाधिपति (सेवानिवृत्त), राजस्थान उच्च न्यायालय पूर्व अध्यक्ष, राज्य आयोग उपभोक्ता संरक्षण राजस्थान संरक्षक, अखिल भारतीय जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ
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