________________ नीति-शिक्षा-संग्रह 27 भोजन करके बैठ जाने से आलस्य और ऊँध आती है; लेट जाने से शरीर पुष्ट होता है, दौड़ने स मृत्यु पीछे दौड़ती है और धीरे धीरे चलन अर्थात् टहलने से शरीर निरोग रहता है। २८भोजन करके - स्त्री प्रसंग करना,आग तापना,धूप में फिरना, घोड़े वगैरह की सवारी करना, गम्ता चलना, युद्ध करना, गाना, अधिक बोलना,बहुत हँसना,बहुत सोना,बैठना,कसरत करना,मोर पानी पादि पतली चीजें अधिक पीना हानिकारक है। ये सब काम तन्दुरुस्ती चाहने वालों को कम से कम एक घंटे के लिये छोड़ देने चाहिये। 26 चतुर मनुष्य को चाहिये कि भद्दे भासन से बैठकर भोजन न करे / खाते खाते उठ बैठना और फिर खाने पर पाबैठना, दोनों हाथ जूठे करना, भोजन विखेरना, मुँह से चपचप की पावाज करना, बड़े बड़े प्रास लेना, तथा साथ में भोजन करने वालों को ग्लानि करने वाला कोई काम करना- ये सब बाहियात काम नहीं करने चाहिये। - 30 व्यायाम करना प्राणीमात्र को अत्यन्त पावश्यक है। भ्यायाम करने से शरीर पुष्ट और नीरोग रहता है, तथा शरीर की कान्ति बढ़ती है, इसलिए स्त्री पुरुष दोनों को कोई न कोई व्यायाम प्रयास करना चाहिये / पुरुषों का व्यायाम-स्वच्छ वायु में घूमना, दगड पैलना, मुद्गर घुमाना, घोड़े की सवारी करना, कुश्ती करना इत्यादि और स्त्रियों का व्यायाम- स्वच्छ हवा में घूमना, चक्की चलाना, TR