Book Title: Nammayasundari Kaha
Author(s): Mahendrasuri, Pratibha Trivedi
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ महेसरदत्तमाया-रिसिदत्ताजम्मवण्णणा। [१३-२५ ] अकलंकियधम्मगुणा बब्बरदीवम्मि जह चिरं वुत्था । मोयाविया य पिउणो मित्तेण गया य कुलगेहं ॥ सोऊण भवं पुरिमं सुहत्थिररिस्स पायमूलम्मि । निक्खंता संपत्ता कमेण तह देवलोगम्मि ॥ सयलं कहंगमेयं वत्तवं इत्थ पत्थुयपबंधे । संखेव-वित्थरेणं पडुक्खरं तं निसामेह ।। www '10 15 [महेसरदत्तमाया-रिसिदत्ताजम्मवण्णणा] अत्थि सरिसेलंकाणणगामागरनगरनिवहरमणीओ। नामेण मज्झदेसो महिमंडलमं [प. १.] डणो देसो॥ १६ जत्थगामा नगरायंते नगराणि ये देवलोगभूयाणि । दट्टण व संतोसा लच्छी सयमेव अवयरिया ॥ . आवासिएहिँ निचं पए पए सत्थवाहसत्येहि । एयं विसममरनं एयं ति न नजइ विसेसो ॥ तत्थऽत्थि पुरं पयर्ड धणधनसमिद्धलोयसंपुर्ण । नामेण वड्डमाणं पवड्डमणि जणधणेहिं ॥ जिणमंदिरेसु जम्मी अणवरयपयट्टगीयनद्देसु । पत्तो पिच्छइ लोओ तणं व भावेइ सुरलोयं ॥ सालो जत्थ विसालो सुयणो व समुन्नओ परागम्मो । दीसंतो दूराओ भयंकरो वेरिवग्गस्स ॥ निसिपडिबिंबियतारा नीलायणवजियं च दिवसम्मि । गयणंगणं व रेहइ समंतओ खाइया जस्स ॥ कयधम्मंजणपसाया पासाया गयणमणुंगया जत्थ । रेहंति सुरघरा इव अच्छरसारिच्छपुत्तलिया ॥ सुयणो सरलसहावो परोवयारी कयत्थओं धीरो। निवसइ जत्थ सुसीलो सजणलोओ सया मुइओं ॥ ससिनिम्मलसीलाओ लज्जाविनाणविणयकलियाओ। जत्थ वरअंगणाओ घरंगणाई वि न पासंति"॥ . . ... २५ ग. २ माणं माणं पव्वट्ठजण. ३ गयणगणं. ४ धम्मा'. ५ पसाया. ६ सुशु.७°यचुओ. ८ सुइमो. ९ वरंगणाओ. १० घरगणाई. ११ पसंति... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142