Book Title: Nammayasundari Kaha
Author(s): Mahendrasuri, Pratibha Trivedi
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 96
________________ [ ९३४-९४८ ] नमयासुंदरीका | ९४० सुगुरु' मग्गंती पत्तं तुह दंसणं मए सामि ! | अब्भुट्टियाऍ वय भारधरणबुद्धिं धरतीए ॥ आपुच्छिऊण जणए करेमि ता तुम्ह तुरियमाण त्ति ।' ret गुरू वि - 'अविग्धं मा पडिबंधं करेजासि' ॥' वज्जरइ गिहं पत्ता सर्व्वं चिय गुरुजणं विणयसारं । 'दिट्ठो नाणाइसओ सुहत्थिरिस्स तुम्भेहिं ॥ जं किंचि मज्झ अंगे मणवर्यकाएहिँ जहि जं रइयं । तं स चि नजइ समक्खमेयस्स संजायं ॥ अणुहूयबहुदुहाए सुमरियनियपुवजन्मकम्माएँ । ता एयपायमूले जुत्तं मे समणगुणधरणं ॥ ' पडिभणइ गुरुजणो तं - 'पुत्ति ! तुमं सुड वल्लहा अम्ह । किं तु तुह तम्मि वसणे अम्ह सिणेहेण किं सिहं १ ॥ सोऊण दुस्सहाई तुमए सोढाइँ दुक्खलक्खाई । मत्तं ( ? ) अम्हाणं पि हु पट्ट (च) इओ हंदि सधेसिं ॥ किं तु वयं गुरुकम्मा लतस ( न तरा ) मो दुद्धरं वयं धरिडं धन्ना य तुमं इक्का अंगीकाउं [ प. ३० B ] इमं महसि ॥ पवा][विज]हि वच्छे ! अम्हं पि य बोहणं करेजासि । भावियजिणवयणाणं वयग्रहणनिवारणमजुत्तं ॥' tय मुहियहिं दिक्खामहिमा गुरूहि पारद्धा । घोसाविया य अमरी कया य अट्ठाहिया महिमा || पडिलाभिया य विहिणा समणा समणी य फासुदवे हिं' । सम्माणिओ य सम्मं समाणधम्माण समुदाओ || दिन्नमवारियसत्तं मग्गणयगणस्स वड्ढिओ तोसो" । विहिया य विसेसेणं पूया नियसयणवग्गस्स ॥ सोहणदिणम्मि तत्तो न्हायालंकाररीरियावयवा । चलिया सिवियारूढा थुव्वंती" मह ( मागह) गणेण ॥ वज्रतगहिरतूर मंगलगीयाइँ दिसि दिसि सुणती । पत्ता वसहिसमीवं उत्तिन्ना [त]ओं [य] सिवियाओ ॥ होऊण रायचा [ ई ? ] काउं तिपयाहिणं" मुणिवईस्स । पभणति कयंजलिणा जणणीजणया मुणिगइंदं ॥ । ९४१ १ सुरं २ . गग्गंतीए. ३ जामि. ७ जिणतयणा'. ८ महरण'. ९ 'देव्वेहिं' १३ महित्तेस. ५४ °हिण. १५ 'वयस्स. Jain Education International ४ ° वइ. ५ कम्मगए. १० तासो. ११ 'लंकारेरी रिया'. For Private & Personal Use Only ८३ ९३४ ९३५ ९३६ ९३७ ९३८1० ९३९ ९४२ ९४४ ९४३२० ९४५ ९४६ 5 ९४७ 15 ६ दुस्सहायं. १२ बुवंती. 25 ९४८३० www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142