Book Title: Nammayasundari Kaha
Author(s): Mahendrasuri, Pratibha Trivedi
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 132
________________ नमयासुंदरिसंधि। ११९ मुणि जम्पद "कुण जि मुणिवराण आसायण होइ विओगु ताण'। २३ इ सुणिवि झत्ति उवरिमखणाउ उत्तरिवि साहु खामइ पमाउ। २४ सा नमिवि भणइ "तुम्हि खमनिहाण पहणंतथुणंतह दयपहाण। २५ सावस्स अणुग्गहु मह करेह अवराहु एकु मुणिवर ! खमेह"। २६ मुणि भणइ “भावि पिययमविओगुं निअॅनिव(बि)डपुव्वकम्मिण अभङ्गु । २७ मइँ जाणिउ नाणिण कहिउ तुज्झ नहु सावु एहु मा वच्छि! मुज्झ"। २८ ॥ घत्ता ॥ इों मुणिपहुवयणिहिँ अमिअसमाणिहिँ अप्पदुक्क्षसंवेगजुय । पिअयमि आसासिर्भ सीलि पसंसि करइ धम्मु निम्मलचरिय॥ २९ [२] अन्नया रुद्ददत्तङ्गओ चल्लए जवणदीवम्मि बहुदव्वअजणकए। १ पोअवणिजेण वञ्चंतु मुकलावए सयणवग्गं तहिं नम्मयं ठावए। २ कह वि नहु ठाइ सह चलइ नमयासई जा चलइ पवहणं कोइ ता गायई। ३ सुणिवि सरलक्खणं कहइ पइअग्गए नम्मया “गाइ जो पुरिसु सो नजए ।४ पिङ्गकेसो अ बत्तीसवरिसो इमो पिहुलवच्छत्थलो सामलो सकमो"। ५ इय सुणिवि पियअमो° चिन्तए दुद्दमा जा इमं मुणइ सा नूणमसई इमा। ६ इत्तियं कालमेसा मए जाणिआ साविआ सीलविमल त्ति सम्माणिआ। ७ कुलकलङ्कस्स हेउ त्ति मारेमि वा तिक्खसत्थेण जलहिम्मि घल्लेमि वा ।८ अलिअकुविअप्पपूरिअमणो जा गओ रक्खसद्दीवु सहस त्ति ता आगओ। ९ उत्तरिउ तत्थ पाणीअइंधणकए नम्मयासहिउ सो दीवु अवलोअए । १० तहि परिस्सन्त सरवरह पालिं गया निदहेउं पयं पुच्छए नम्मया। ११ सो वि छडुणमणो भणइ विस्सम पिएँ तरुतले सुई जा ता सणियमुट्टए। १२ सुत्तयं नम्मयं मुत्तु निट्ठरु मणे झत्ति संपत्तु मायानिही पवहणे। १३ पुट्ट परिवारि सो कहइ रोअन्तओ "भक्खिा रक्खसेणं पिआ हा हओ। १४ एअठाणाउ चालेह लहु पवहणं जा कुणइ रक्खसो तुम्ह नहुभक्खणं"।१५ इभ सुणिवि तेहि भीएहि संचारिअं पवहणं जवणदीवम्मि तं पत्तयं । १६ तत्थ विकिणिवि पणि"सलाभोगओ निअपुरं कहइ अम्मापिऊणं तओ। १७ रक्खसोवहवं नम्मयाए दुहं । पुण वि परिणाविओ भुंजए सो सुहं । १८ जग्गए नम्मया जाव इत्थन्तरे पिच्छए नेव तहिं पिअयमं परिसरे। १९ विलवए "नाह हा कंत तं कहिँ गओ असरणं मं विमुत्तूण अइ निद्दओ। २० बीससिघायमहदावपज्जालणं सुगुरुआसायणादेवधणभक्खणं । २१ पुत्वजम्मे मए किं कयं दुक्कयं अकयअवराह जंजाइ पिउ मिल्हि" ।२२ पंच उववास काऊण अह चिन्तए सरिवि मुणिवयणु इय अप्पयं बोहए। २३ "चलइ जइ मेरु उग्गमइ पच्छिमरवी टलइ नहु पुवकयकम्मु पुण कहमवी"।२४ १ ईअ. २ पीययमवीओगु. ३ नीअ. ४ ईअ. ५ अमीअ. ६ दुःख. ७ जूय. ८ आसासीअ. ९ पसंसीअ. १. पीयअमो. ११ पीए. १२ सूअइ. १३ भक्खीआ. १४ पणीअं. १५ वीससीअ.. . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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