Book Title: Nammayasundari Kaha
Author(s): Mahendrasuri, Pratibha Trivedi
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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जिणप्पहसूरिरइया पच्छाणुकूल थीरूषपमुह
कय खोभहेउ देवीह दुसह । अक्खुहिउ खमावइ सा वि साहु मुणि कहिअ धम्मि तसु बोहिलाहु। २० सा देवि चविवि सहदेवधू हुय नमयासुन्दरि गुणिहि गरुय । पडिकूलिहि तसु हुउ पइविओगु अणुकूलि सीलखोहणपओगु"। इय निअभवु निसुणि[वि भव] विरत्त चारितु लेह नम्मय पवित्त । इक्कारसङ्गधरगणहरेण
सा ठविय महत्तरपदि कमेण । फुडअवहिनाणजुये सह मुर्णिदि विहरंत पत्त पुरि कूवचन्दि। कउ तीउ(इ) महेसरु निवियप्पु सरलक्खणेण निदेइ अप्पु । "जाणिजइ सत्थपमाणि सव्वु तउ नमया जाणिउ पुरिसरूवु। म. दुष्टि निकिट्टि सुसील चत्त कंता तसु पावह दिक्ख जुत्त"।। नम्मयमुवलक्खिवि चरणु लेइ रिसिदत्तसहिउ सो तवु तवेइ ।। आराहिवि अणसणु सम्गि जंति तिन्नि वि अणुवमु सुहु अणुहवंति। ३०
॥ घत्ता ॥ कल्लाणह कुलहर होअउ जयकर नमयासुंदरिसंधि वर।। अब्भत्थणि सङ्घह रइओ अणग्घह पढत-सुणन्तह उदयकर ॥ ३१ सरिया वि सीलजुन्हा जीसे सुकयामएण तियलो। सिंचइ बीइन्दुकल व्व नम्मया जयइ अकलङ्का ॥ तेरससय-अ.वीसे वरिसे सिरिजिणपहुप्पसारण । एसा सन्धी विहिया जिणिन्दवयणाणुसारेणं ॥ ॥ श्रीनर्मदासुन्दरीमहासतीसन्धी[:] समाता ॥
१ जूय. २ कूविचन्दि. ३ अणुसणु. ४ रईअ. ५°पसाएण.
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