Book Title: Nammayasundari Kaha
Author(s): Mahendrasuri, Pratibha Trivedi
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 133
________________ १२० धीरविअं चित्तमह कुणइ सा पारणं लिपमउ बिंदु ठावेवि गुहअन्तरे " रक्खसुद्दीषु मिल्हेवि जइ गम्मए इय विचिन्तेवि चिंधं जलहितीरए बब्बरे' कूलि पोषण वञ्चंतओ नम्मयं पिच्छिउं पुच्छए वइअरं जिण पहसूरिरइया संबोहिवि जुत्तिर्हि पेमपउत्तिहिँ पवहणि आरोविउ सीलि पमोइउ १ धीरवीअ. २ ववरे. ८ डच्छेदा. ९ वीरुदासु. वीरदासु तहिँ कूलि नरेसरि हरिणी वेसा तहिँ निवसेई प्रवहणप्रति दीणार सहस्सू दासि भणइ " तुम्हि सामिणि वंछइ" तत्ति धणु पेसइ तसु हत्थिहि वीरदासु एती कल (?) आणि " खोभिउ हावभावविन्नाणिहि वीरु सदार तिणि जाणिउ व (वे) सं दासि भणइ एगन्ते भयणि सुआ वा निरुवमरूवा इअ मन्तिवि तिणि मुद्दारयणू पडिछंद दिसणमिसि पेसिअ "तेडइ तुम्हि एवडअहिनाणिहि नाममुद्द पिक्व चिंतिवि बहु हरिणी गिहपच्छलि भूमीहरि मुद्दा दासिहि अप्पिअ वीरह उट्टि सिट्टि जाइ नियमंदिरि घर बाहिरि पुरिन [ल] हइ सुद्धि कड्डिय भूमिगिहाउ महासइ सयलरिद्धि " एअह तइँ सामिणि गुहु ता [म]ल्हि असग्गहु" वज्जहय व्व भणेइ महासइ सीलु सयदुक्खखर्यकारणु नरयनयर गोपुरु वेसत्तणु Jain Education International २६ छदिणि फलिदिँ कयदेवगुरुसुमरणं । २५ थुइ पूरइ मणु ठवइ झाणन्तरे । भरह खित्तम्मि जिणदिक्ख गिहिजए" । २७ भग्गपो अत्तसंसूअगं उभए । चिंधु पिक्खेवि पि बन्धु तहिँ आगओ । २९ कह रोअन्त सा विसु जं दुत्तरं । २८ ३० ॥ धन्ता ॥ वीरदासु तदुहदुहिउ । बब्बरि" गड नम्मय सहिउ ॥ [ ३ ] ३ ४ ६ ७ पूर्ड नमया ठावइ मन्द (न्दि ) रि । वीरपास दासी पेसेई । निवपसाइँ सा लहइ अवस्सू । वीरु सीलनिहि तहिँ नहि गच्छइ । हरिणि भणइ "अम्ह काजु न अत्थिहि । ५ भणितिभङ्गि तिणि आणिउ प्राणि । न चलिउ जिम सुरगिरि बहुपवणिहिं । कवडिहि हरिणी सो वक्खाणिउ | "नारि ज दिठ्ठा सिट्टिगिहन्ते । सा जइ वेस तु हुइँ वसि देवा" । मग अपि सिट्टि पहाणू । मुद्दा नमया (यं) दंसिअ दासिअ । वीरदासुं आवर अम्ह भुवणिहिं" सह दासिहिं नमया आविअ लहु । पुव्व सिक्ख तिणि घल्लिअ निट्टुरि । नमया दोसु देइ दुक्कम्मह । ता नहु पिच्छइ नमयासुंदरि । भरुच्छि गउ कयबुद्धि सरिद्धि । जाणिउ वीरु गयउ अह दंसइ । करउँ होसि जइ वेसा भामिणि । हरिणिवयणु निसुणिवि नमया लड्डु | " मह जीवन्ति सीलु न नस्सइ । सीलु सिद्धिसुरलच्छिहि कम्मणु । उत्तमनिन्दितसु किं वन्नणु" । । ४ पमोईउ. ३ वईअरं. १० 'जीवन्तीअ ५ बव्वरि. ११ क्खयकारणु. For Private & Personal Use Only ३१ ६ पूईउ. १२ निन्दीअ ८ ९ १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८ १९ २० २१ २२ २३ २४ ७ सील. www.jainelibrary.org

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