Book Title: Nammayasundari Kaha
Author(s): Mahendrasuri, Pratibha Trivedi
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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नम्मयासुन्दरी विवाहोस वो ।
संपुन हबलं सवसुंदरं सोहियं तहा लग्गं । सयलसुहसिद्धिजणयं एगग्गमणेहिं गणएहिं || [ नम्मयासुंदरीविवाहोसवो ]
तमायनऊण नम्मयासुंदरीए विवाहो त्ति हरिसिओ नयरलोगो । उब्भियाई' घरे घरे तोरणा, ठाणे ठाणे पिणद्धाओं वंदणमालाओ, मंदिरे मंदिरे पवज्जियाई मंगलतूराई, पणच्चियाओ सूहवनारीओ, जाओ परमाणंदसमुद्दनिबुडो' इव सुहियओ पुरिसवग्गो । सहदेवेणावि तिय- चउकचच्चराईसु पवत्ति - याई अवारियसत्ताई, निमंतिओ सयलनायर लोगो, सम्माणिओ बत्थतं - . बोलाइएहिं । किं बहुणा : -
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10 वअंततूरमणहरं, नच्चंतलोयसुहयरं; पतभट्टचट्टयं, पए पए पयट्टयं;
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मोहयासेसमग्गणं, जणसंवाहविसदृहारखंडमंडियघरंगणं;
कीरतको [3]यमंगलसोहणं, सयलपेच्छयजणमण मोहणं;
पिमा इचित्त भारनिम्महणं, संजायं नम्मयासुंदरी-मँहेस [र] दत्ताणं पाणिग्गहणं । अवि य
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१ उभियांइं. ६ 'सुंदरीए महे'.
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[ २८४-२९१ ]
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दाणेण य माणेण य पिउणा तह तोसिओ जणो सबो । आसीवायसयाई अन्नत्थगओ वि जह देह || भइ जणो- 'भो सुंदर ! केहि तुमं आगओ सि सउणेहिं । जं एसा संपत्ता घरणी लच्छि व पच्चक्खा ॥' अनाओ बुड्ढाओ अक्खयमुट्ठि सिरम्मि मोत्तूण | जंपति - 'नंद मिहुणय ! णहंगणे जाव ससि-सूरा ॥' 'अणुरूवो संजोगो विहिणा घडिओ' भांति अन्नाओ । 'कोमुई - गहनाहाण य मा विरहो होज कइया वि ॥' इय नयरजणासीसे पच्छिमाणो गुरूण कयतोसो | उपाय हो नम्मयाऍ सो" संठिओ तत्थ ।। आपुच्छिय सुहिसयणो महेसरो पत्थिओ नियं नयरं । arrण दिन्नसिक्खा विसजिया नम्मया चलिया ॥ केहि विदिहिं पत्तो भडेहिँ वद्धाविया य रिसिदत्ता । कयमंगलोवयारा पच्चोणि निग्गया सयणा ॥
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२ पिणट्ठाओ. ३ निवुट्टो. ४ पी. ७ ° सुट्ट. ८ कोइमुइ ९ 'सीसो.
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२८४.
१० ९माणा. ११ से.
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५ चित्ताभारिमिम्महणं.
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