Book Title: Nammayasundari Kaha
Author(s): Mahendrasuri, Pratibha Trivedi
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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[८७८-८९१] नम्मयासुंदरीकहा।
इय पालिजइ बंभं दुहियाण जियाण कीरइ परित्ता । तप्पिजइ निच्चग्गी नवनवसमिहाहिँ पईदियह ॥ कायबा गुरुभत्ती गुरुआणापालणम्मि जइयवा(?)। इच्चाइ अम्ह धम्मो सुहकरणेजो सुहफलो य॥ एमाइ भणंतीहिं सिरिप्पभा बोहिया तहा ताहिं। जह तासिं चिय मूले सयराहं तावसी जाया ॥ तो पयणुरागदोसा परिसुद्धायारपालणुजुत्ता। विहिणा कयसन्नासा उववना वंतरनिकाए । सअगाढियपरिवारे नम्मयनइरक्खणम्मि अभिउत्ता। परिहिंडइ सच्छंदा कीलंती नम्मयतडेसु ॥ कारंडहंससारसरहंगपमुहेहि बहुविहंगेहिं । चिंतइ य जलं रेवं निज्झायंती सुहं लहइ ॥ उच्छलिय विलिजंते पिटुंती नम्मयाइ कल्लोले । चिट्ठइ पलोयमाणी अतित्तचित्ता चिरं तं पि ॥ कत्थइ हत्थिकुलाई वणमहिसिकुलाइ नम्मयजलम्मि । उब्बुड्डनिब्बुडणवावडाइँ तूसइ पलोयंती ॥ आरुहइ विंझसेले पेच्छइ विंझाडवि विसेसेण । रुरुरुज्झगवयेसूयरकुलेहिँ परिमंडिउद्देसं ॥ सर्लसरहचित्तयसीहाइजिएहिँ भीमरूवेहि । घेप्पंतपलायंतेहिँ संकुलं तं महारत्नं ॥ इच्छाएं रमइ विसे(सऍ) नचंतसिहंडिमंडलीरम्मे । निज्झायइ संझगिीरं कीलइ तत्थैव गंतूण ॥ सुचिरं परिब्भमंती केलिकि(पि)या सा कयाइ दच्छीय । विंझगिरिस्स नियंबे झाणत्थं मुणिवरं एगं ॥ नासानिरुद्धदिलु संवरियासेसइंदियपयारं । मेरुमिव निप्पकंपं एगग्गमणं महासमणं ॥ जाईए पच्चएणं कीलारसिया तओ तयं दटुं। सा परिचिंतइ 'एयं चालेमि कहंचि झाणाओ॥
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१ इया. २ पयदि. ३ स्सअणा. ४ अप्पट्टनिप्पुटण. ७ तश्चत. ८संचरिया'. ९कहिंचि.
५ गयवयं.
६ इहाए.
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