Book Title: Nammayasundari Kaha
Author(s): Mahendrasuri, Pratibha Trivedi
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 75
________________ ६२ नम्मयासुंदरीए राइणो निमंतणं गहेलचेडुयकरणं य । [ ६९६ - ६९८] य। तप्यभिई' दूरट्ठिया चैव चोरा निहालयंति जाव सत्तमदिणे रयणाणि घेत्तूण गओ । सुहेण पत्तो सट्टाणं, भोयाणं च भागी संबुसो ति । तो जहा तेण धणेसरेण रयणाणि रक्खियाणि तहा अहं गल्लैवि t (as ? ) ण सीलरयणं रक्खेमि ति । मा [ कयाइ ] जीवंती कहिं पि कुलहरं 5पि पावेजा । किं तु जइ कह वि एसो राया इह एइ ता मम सरीरं पासइ तक्खणमेव भंज मे सीलं, ता न तीरइ गहिल्लत्तणं काउं, घरमज्झगया विहाणसेण मरिस्सं । अह अन्नो कोइ एही ता लद्धावसरा अवहत्थियलज्जविणया अंगीकयसरीरसंतावा गहेल्लचेड्डयैमेव पवजिस्सं । माया वि कारणे करमाणी न दोसमावहइ' त्ति निच्छियमणाए । [ नम्मयासुंदरी राइणो निमंतणं गल्लचेड्डयकरणं य ] अन्नया रुवायन्नणावजियमाणसेण राइणा पेसिओ समागओ नम्मयागिहं दंडवासिओ । परियाणियकजाए कया तस्स पडिवत्ती पुच्छिओ य - - 'किमागमणपओयणं ?' तेण भणियं - 'राइणा तुह दंसणुक्कंठिएणाहमायरेण समाइडो "हरिणीठाणडवियं राणियं सिग्घमाणेहि" ता तुरियं कीरउ गमणेण 15 पसाओ ।' नम्मयाए भणियं - 10 20 'जं इच्छंती हियए तुमए तं चैव मज्झ आइङ्कं । कं उकंठीया बीयं पुण बरहिणा लवियं || Jain Education International अस्थि च्चि पुन्नाई अम्हाणं नत्थि एत्थ संदेहो [ प. २३ ] जं संभरिया अजं महिवइणा इंदसेणेर्ण ||' भणिया करिणी - 'भद्दे" । सुयं तए सुभासियं - ६९८ जई कि विद्यालडउ लंघित्र अप्पाणु । तो वरि गहिलिय ! तेण सहु जो दंगडइ पहाणु ॥' करिणीए भणियं - 'सुंदरमेयं, पुजंतु मणोरहा ।' नम्मयाए भणियं - ' सलक्खणा ते जीहा । पुणो एरिसमासीवायं मम दिजाहि त्ति भणतीए 25 कारिओ दंडवासियस्स मजणभोयणाइओ उवयारो | अप्पणा वि कयमजणासिंगारा परिहिय विसे सुजलवत्थाभरणा दंडवासिओवणीय सिवियारूढा चलिया नयराभिमुहं | अंतराले दिट्ठे घडिजंतं' वहमाणं । तओ भणियं - 'तन्हाइया अहं, उत्तारेह मं जेणेत्थ सहत्थेण पाणियं पियामि ।' तओ 'जमाणवेसि' त्ति भणतेण उत्तारिया दंडवासिएण पत्ता विमलजलभरियं सारणि ं । 30 तत्थ पाऊण पाणिर्यं कुहियचेकणजंबाल भरियखड्डाए लद्वावसरा फेल्डुसमिसेण १ तप्यभिउं. २ संवोत्तो. ३ हेलं. ४ सरा. ७ भद्दा. ८ पाहाणु. ९ जंतं. १० सारणीं. ११ जंवाल ६ °सेणेगो. For Private & Personal Use Only ५. ६९६ १२ पल्हुस ६९७ www.jainelibrary.org

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