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विशाल भारत के इतिहास पर स्थूल दृष्टि १५१ १२८० में फग्स पा का स्वर्गवास हुआ। उसके बाद धर्मपाल उसके स्थान पर लामा हुआ। उन लोगों के प्रचार का इतना प्रभाव पड़ा कि मध्य एशिया और साइबेरिया के तुर्क, तिब्बती तथा अन्य निकटस्थ जातियाँ एक आध्यात्मिक एकता के सूत्र में बंध गई।
इसी समय में भारत के लोग बर्मा, श्याम, कंबोडिया इत्यादि देशों में से होते हुए सुमात्रा, जावा, बोर्नियो और बाली
1. इत्यादि द्वीपों में पहुँचे और वहां उन्होंने पूर्वी देशों तथा द्वीपों
" अपने उपनिवेश स्थापित किए। इन स्थानों
में पुराने खंडहर तथा शिलालेख इत्यादि बहुत मिले हैं। इनके अतिरिक्त अन्य प्रकार के प्रमाण भी ऐसे मिल चुके हैं जिनके प्राधार पर यह सिद्ध हो गया है कि भारतवर्ष के व्यापारी तथा यात्री लोग इन देशों में भी पहले से ही पहुँच गए थे। चीनी साहित्य से पता चलता है कि फुनान अर्थात् कंबोडिया में तीसरी शताब्दी में भारतीय लोग मौजूद थे। अतएव यह कहना निराधार नहीं होगा कि ईसा की पहली शताब्दी से ही भारतीय संस्कृति का काफी प्रभाव पीगू, बर्मा, चंपा, कांबोज, सुमात्रा, जावा इत्यादि पर पड़ चुका था।
फिर पाँचवीं शताब्दी में अन्य देशों में नए भारतीय उपनिवेश शुरू हुए और चंपा तथा कांबोज बिलकुन्त हिंदू बन गए । यह समय भारतवर्ष में बड़ी वैज्ञानिक तथा साहित्यिक उन्नति का था। इस ज्ञानोन्नति के कारण सब मतों में परस्पर सहिष्णुता तथा उदारता के भाव बढ़ रहे थे। यही समय था जिसमें बौद्धमत भी हिंदू धर्म का एक अंग बन गया।
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