Book Title: Nagri Pracharini Patrika Part 11
Author(s): Gaurishankar Hirashankar Oza
Publisher: Nagri Pracharini Sabha

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Page 25
________________ १५८ नागरीप्रचारिणी पत्रिका हैं और 'विराट' राजा के यहाँ वेष बदलकर रहते हैं। पांडवों के फिर से प्रकट होने के बाद कुरुक्षेत्र में युद्ध प्रारंभ होता है। जावा की कथाएँ इससे कुछ भिन्न हैं। इनके अनुसार चौपड़ जतुगृह में ही खेली गई, और खेल के बीच में पांडवों को विषैला जल पीने को दिया जाता है जिससे भीम ( Braha Sen in Javanese ) के सिवा सब बेहोश हो जाते हैं और भीम उनको जलते हुए मकान से बाहर लाता है। तब दूर दूर घूमने के बाद पांडव लोग विराट नाम के देश में पहुँचते हैं। अंत में जब वे अपना सच्चा स्वरूप विराट के राजा मत्स्यपति को बतलाते हैं तब वह उन्हें इंद्रप्रस्थ (Ngamarta) का राज्य भेंट करता है। द्रौपदी का स्वयंवर इसी समय होता है। ___ इसी बीच में दुर्योधन ( Sujudana ) की शक्ति हस्तिनापुर (Nagastina) में बहुत बढ़ जाती है। वह पांडवों को उनकी राजधानी से निकाल देता है। वे फिर विराट देश के राजा मत्स्यपति की शरण लेते हैं। कृष्ण को भी अपनी राजधानी द्वारका ( Dvaravati ) छोड़नी पड़ती है। तदनंतर भारत युद्ध (Brata yuda) प्रारंभ होता है। जावा-निवासियों को अर्जुन सबसे अधिक प्रिय हैं। कम से कम ५० नाटकों में वह मुख्य पात्र का स्थान प्रहण करता है, किंतु अपने जीवन के शुरू में वह अपने प्रतिद्वंद्वी पाल्गू नादी ( Palga Nadi ) को एक घृणित षड्यंत्र द्वारा मरवा देता है। यह पाल्गू नादी भी द्रोणाचार्य का एक शिष्य था। अन्य लाकोनों में अर्जुन का सुभद्रा से प्रेम बढ़ाना और अन्य प्रतिद्वंद्वियों से लड़ना इत्यादि वर्णित Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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