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जैनागमों की प्रमाणिकता
थे उतने अब नहीं रहे-जैसे एक आचारांग सूत्र के ही १८००० पद थे और एक पद के ५१०८८४६२१ ।। श्लोक होते थे यदि, १८००० का ५१०८८४६२१|| के साथ गुणाकार किया जाय तो ९१९५९२३१८७००० श्लोक तो अकेले आचारांगसूत्र केही होते हैं। इसके पश्चात् प्रत्येक अंगसूत्र को द्विगुणित - द्विगुणित बतलाया गया है, जो निम्न कोष्टकानुसार होते हैं:
पदसंख्या पदों के श्लोकों की संख्या
이
आगम नामावली
१ श्री आचारांग |१८०००
सूत्रकृतांग ३६०००
स्थानायांग ७२०००
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99
४ समवायांग १४४०००
विवाहप्रज्ञप्ति २८८०००
ज्ञातांग
५७६०००
उपासक
दशांग ११५२००० ५८८५३९०८३९६८००० ८१२ » अन्तगढ़
दशांग २३०४००० ११७७०७८१६७९३६०००| ८९९ अनुत्तरोबाई ४६०८००० २३५४१५६३३५८७२००० १९२ १०, प्रश्नव्याकरण ९२१६००० ४७०८३१२६७१७४४००० १२५६ 99 विपाकसूत्र १८४३२००० ९४१६६२५३४३४८८००० १२१७
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99
वर्तमान
श्लोक
|९१९५९२३१८७०००
२५२५
| १८३९१८४६३७४०००
२१००
३६७८३६९२७४८००० ३६०० ७३५६७३८५४९६००० १६६७
| १४७१३४७००९९२००० १५७५२ |२९४२६९५४१९८४००० ५४००
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* एगवत कोड़ी लक्खा, अठ्ठ े व सहस्स चुलासीय;
सब छक्कं नायग्वं, सड्ढा एगवीस समयम्मि ।
रत्नसंचय प्रकरण गाथा ३०६
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